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Bank FD Rates : फिक्स्ड या फ्लोटिंग रेट में निवेश के लिए कौन सा फिक्स्ड डिपॉजिट बेहतर है? किसे होगा ज्यादा फायदा?

Bank FD Rates : भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद कई सरकारी और निजी बैंकों ने भी FD की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. उम्मीद है कि आने वाले समय में फ्लोटिंग रेट फिक्स्ड डिपॉजिट निवेशकों को ज्यादा रिटर्न देगा.

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Bank FD Rates : फिक्स्ड या फ्लोटिंग रेट में निवेश के लिए कौन सा फिक्स्ड डिपॉजिट बेहतर है? किसे होगा ज्यादा फायदा?

fixed deposit

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डीएनए हिंदी: देश में ज्यादातर लोग ऐसे विकल्पों में निवेश करना पसंद करते हैं जहां उनकी गाढ़ी कमाई पूरी तरह से सुरक्षित हो और उन्हें निर्धारित अवधि में अच्छा रिटर्न मिले. ऐसे में उनके दिमाग में सबसे पहले फिक्स डिपॉजिट (Fixed Deposit) में पैसा लगाने का विचार आता है क्योंकि यह किसी भी बैंक के सेविंग अकाउंट (Saving Account) पर तय अवधि में कमाए गए ब्याज से ज्यादा मुनाफा देता है और उनका पैसा भी पूरी तरह सुरक्षित रहता है. अगर आप भी बैंक या पोस्ट ऑफिस फिक्स्ड डिपॉजिट (Post Office Fixed Deposit) में पैसा लगाने की योजना बना रहे हैं तो आपको बता दें कि FD भी दो तरह की होती है.

FD में निवेश की अवधि के दौरान ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होता है. ऐसे फिक्स्ड डिपॉजिट को फिक्स्ड रेट्स FD कहा जाता है. वहीं दूसरे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नीतिगत दरों से जुड़ी सावधि जमा की ब्याज दरों में बदलाव होता रहता है. ऐसे फिक्स्ड डिपॉजिट को फ्लोटिंग रेट्स FD कहा जाता है. हाल ही में फ्लोटिंग रेट FD तब सुर्खियों में आई जब RBI ने रेपो रेट बढ़ा दिया और कई पब्लिक और प्राइवेट बैंकों ने भी फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit Interest Rate) की ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी.

फ्लोटिंग रेट FD का भविष्य कैसा है?

सावधि जमा (Fixed Deposits) देश में सोने के बाद दूसरे स्थान पर है. हालांकि पिछले कुछ सालों से FD पर ब्याज दरें कम होने के कारण लोगों का रुझान इसकी ओर कम होता जा रहा था लेकिन अब ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते एक बार फिर से लोग इसकी ओर बढ़ रहे हैं. रेपो रेट में बढ़ोतरी के साथ-साथ बैंकों की जमा राशि पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी से साफ है कि आने वाले समय में निवेशकों को फ्लोटिंग रेट एफडी पर सुरक्षा के साथ ज्यादा मुनाफा मिलेगा.

जमा पर ब्याज दरें कैसे बदलती हैं?

जब भी आरबीआई (RBI) प्रमुख दरों में बदलाव करता है तो कर्ज की दरों में भी बदलाव होता है. वहीं जमा दरों पर इसका मामूली असर पड़ता है. जिस दर पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट भारतीय अर्थव्यवस्था में मुख्य ब्याज दर है. जब भी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना होता है तो आरबीआई रेपो रेट (RBI Repo Rate) में कटौती करता है ताकि बैंकों के पास उधार देने के लिए पर्याप्त नकदी हो. वहीं जब भी महंगाई की दर आरबीआई (RBI) की तय सीमा से आगे जाती है और चिंता का कारण बनती है तो रेपो रेट को बढ़ा दिया जाता है. आसान शब्दों में कहें तो रेपो रेट में बदलाव के साथ ही लोन की दरों (Loan Rate) में जमा दरों की तुलना में तेजी से बदलाव होता है.

जमा दरों में वृद्धि के क्या कारण हैं?

अधिकांश बैंक ऋण दरों को यथासंभव उच्च और जमा दरों को यथासंभव कम रखना चाहते हैं. इससे बैंकों का नेट इंटरेस्ट मार्जिन बढ़ जाता है. वहीं जमा दरों में भी क्रेडिट जमा अनुपात (Credit Deposit Ratio) के कारण परिवर्तन होता है. अगर यह अनुपात कम है तो बैंक ज्यादा से ज्यादा कर्ज दे सकते हैं. साथ ही वे जमा के प्रति उदासीन हो जाते हैं. ऐसे में कुछ बैंक कर्ज और जमा दोनों पर दरें कम रख सकते हैं. वहीं अगर किसी बैंक ने रेपो रेट से जुड़े ज्यादा कर्ज दिए हैं तो प्रमुख दरों में बढ़ोतरी से जमा दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद ज्यादा है.

वर्तमान में महंगाई की क्या स्थिति है?

फिलहाल महंगाई की दर आरबीआई की 6 फीसदी की तय सीमा से ऊपर बनी हुई है. इस साल के लिए केंद्रीय बैंक ने महंगाई दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने पिछले तीन महीने में रेपो रेट को तीन गुना में 1.4 फीसदी बढ़ा दिया है. इसके साथ ही रेपो रेट 5.4 फीसदी पर पहुंच गया है. इसके बाद ज्यादातर बैंकों ने कर्ज के साथ-साथ जमा पर भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की. मार्च 2019 की तुलना में नकद जमा अनुपात भी घटकर 72 प्रतिशत रह गया है.

बैंक जमा दरें क्यों बढ़ाएंगे?

सीडीआर (CDR) में गिरावट के साथ अपनी लोन बुक में वृद्धि दर्ज करना चाहते हैं. वहीं उम्मीद की जा रही है कि कर्ज की मांग में कमी नहीं आएगी. ऐसे प्रतिस्पर्धी माहौल में यह अपेक्षा करना गलत नहीं होगा कि अधिकांश बैंक जमा दरों के साथ-साथ ऋण दरों में वृद्धि करेंगे. मार्च 2022 में जारी आरबीआई (RBI) की रिपोर्ट के मुताबिक निजी बैंकों के 61 फीसदी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के 33 फीसदी कर्ज रेपो रेट से जुड़े हैं. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि निजी क्षेत्र के बैंक जमा दरों में और इजाफा करेंगे.

फ्लोटिंग या फिक्स्ड रेट कौन सी FD बेहतर है?

बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी को देखते हुए फ्लोटिंग रेट एफडी मौजूदा समय में ज्यादा फायदेमंद साबित होगी. हालांकि यह फायदा तब तक मिलेगा जब तक बैंक दरें बढ़ा रहे हैं. जैसे ही बैंक इसमें कटौती करना शुरू करेंगे आपको घाटा भी होने लगेगा. इसके उलट बैंक फिक्स्ड रेट एफडी पर एडवांस में ब्याज दर तय करते हैं. FD की मैच्योरिटी पर तय ब्याज दर के आधार पर ही आपको लाभ मिलता है. मैच्योरिटी अवधि के बीच ब्याज दरों में कितनी भी वृद्धि क्यों न हो जाए आपको इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा. सभी बैंकों ने अभी तक फ्लोटिंग रेट FD का विकल्प नहीं दिया है.

क्या है फ्लोटिंग रेट FD का बड़ा फायदा?

पहला फायदा यह है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी से आपको ज्यादा मुनाफा होगा. दूसरी ओर यह बढ़ा हुआ लाभ आपको तेजी से बढ़ती महंगाई से निपटने में काफी मदद कर सकता है. उम्मीदों को सही माना गया तो महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई फिर से नीतिगत दरों में बढ़ोतरी करेगा. माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक रेपो रेट 6 फीसदी को पार कर जाएगा. ऐसे में बैंक जमा दरें भी बढ़ाएंगे. पिछले कुछ समय से निवेशक फिक्स्ड रेट FD में निवेश पर अधिक रिटर्न प्राप्त करने की आशा कर रहे हैं.

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