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Edible oil Price Cut: आम लोगों को मिलेगी राहत, 10 से 12 रुपये सस्ता होगा खाना पकाने का तेल

Edible oil Price Cut: एक रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य तेल प्रोसेसर और प्रोड्यूसर द्वारा ग्लोबल प्राइस में गिरावट के प्रोफिट को कंज्यूमर्स तक पहुंचाने के लिए कीमतों में 10-12 रुपये की कटौती करने पर सहमति बन गई है. 

Edible oil Price Cut: आम लोगों को मिलेगी राहत, 10 से 12 रुपये सस्ता होगा खाना पकाने का तेल
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डीएनए हिंदीः आम आदमी के लिए राहत की बात यह है कि आने वाले दिनों में खाद्य तेलों की कीमतों में और कमी (Edible oil Price Cut) देखने को मिल सकती है. एक रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य तेल प्रोसेसर और प्रोड्यूसर द्वारा ग्लोबल प्राइस में गिरावट (Edible oil Price in Global Market) के प्रोफिट को कंज्यूमर्स तक पहुंचाने के लिए कीमतों में 10-12 रुपये की कटौती करने पर सहमति बन गई है. मीडिया रिपोर्ट में एक अधिकारी के बयान के अनुसार खाना पकाने के तेल निर्माताओं ने वैश्विक कीमतों में नरमी के मद्देनजर खाद्य तेल की कीमतों (Edible oil Price) में 10-12 रुपये की कमी करने पर सहमति व्यक्त की है. 

इंडोनेशिया ने लगा दिया प्रतिबंध 
भारत खाद्य तेलों का एक प्रमुख आयातक है क्योंकि यह अपने खाद्य तेल का लगभग दो-तिहाई आयात करता है, जिसने हाल के महीनों में रूस-यूक्रेन वॉर और इंडोनेशिया द्वारा अन्य देशों को पाम ऑयन के निर्यात पर प्रतिबंध के कारण भारी कीमतों में वृद्धि देखी थी. हालांकि, हाल में हुए डेवलपमेंट में, इंडोनेशिया ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमतों को ठंडा करने में मदद करते हुए पाम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया है और सरकार का विचार है कि खाद्य तेल की कीमतों में और कमी की गुंजाइश है. पिछले महीने सरकार ने प्रमुख खाद्य तेल संघों के साथ एक बैठक में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा खाद्य तेलों के एमआरपी में कमी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था.

कंज्यूमर्स को दिया जाए लाभ 
केंद्र ने यह भी सलाह दी कि निर्माताओं और रिफाइनर द्वारा वितरकों को कीमत भी तुरंत कम करने की जरूरत है ताकि कीमतों में गिरावट किसी भी तरह से कम न हो. इस बात पर भी जोर दिया गया कि जब भी निर्माताओ/रिफाइनरों द्वारा वितरकों को कीमत में कमी की जाती है, तो उद्योग द्वारा उपभोक्ताओं को लाभ दिया जाना चाहिए और विभाग को नियमित आधार पर सूचित किया जाना चाहिए. कुछ कंपनियां जिन्होंने अपनी कीमतें कम नहीं की हैं और उनकी एमआरपी अन्य ब्रांडों की तुलना में अधिक है, उन्हें भी अपनी कीमतें कम करने की सलाह दी गई है.

कीमतों को कम करने की जरुरत 
बैठक के दौरान इस बात पर चर्चा हुई कि आयातित खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें नीचे की ओर हैं जो कि खाद्य तेल परिदृश्य में एक बहुत ही सकारात्मक तस्वीर है और इसलिए, घरेलू खाद्य तेल उद्योग को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि घरेलू बाजार में भी कीमतें समान रूप से कम करने की जरुरत है और कीमतों में इस गिरावट को बिना किसी सुस्ती के उपभोक्ताओं तक तेजी से पहुंचाई जानी चाहिए. इस बैठक में प्राइस डाटा कलेक्शन, खाद्य तेलों पर नियंत्रण आदेश और खाद्य तेलों की पैकेजिंग जैसे अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई.

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ग्लोबल मार्केट में कम हुई हैं कीमतें 
अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमतों में नाटकीय गिरावट देखी जा रही है, हालांकि, कीमतों में गिरावट धीरे-धीरे होने के कारण घरेलू बाजार में स्थिति थोड़ी अलग है. भारत सरकार ने कदम बढ़ाया और खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा सीईएआई, आईवीपीए और सोपा सहित प्रमुख उद्योग प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक बुलाई, जिसमें वैश्विक कीमतों में गिरावट के बीच खाना पकाने के तेल की खुदरा कीमतों में कमी पर चर्चा की गई. उद्योग ने बताया कि पिछले एक महीने में विभिन्न खाद्य तेलों की वैश्विक कीमतों में 300-450 अमेरिकी डॉलर प्रति टन की गिरावट आई है, लेकिन खुदरा बाजारों में इसे प्रतिबिंबित करने में समय लगता है और आने वाले दिनों में खुदरा कीमतों में कमी आने की उम्मीद है.

मई में कम की गई थी कीमतें 
ज्ञात हो कि मई 2022 में विभाग ने प्रमुख खाद्य तेल संघों के साथ बैठक बुलाई थी और सूत्रों के अनुसार फॉच्र्यून रिफाइंड सनफ्लावर ऑयल 1 लीटर पैक की एमआरपी घटाकर 220 रुपये से 210 और सोयाबीन (फॉच्र्यून) की एमआरपी और कच्ची घानी तेल 1 लीटर पैक की कीमत को 205 रुपये प्रति लीटर से 195 रुपये प्रति लीटर कर दिया था. उद्योग को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई थी कि कम किए गए शुल्क का पूरा लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाए. भारत पाम तेल के आयात के लिए ज्यादातर इंडोनेशिया और मलेशिया पर निर्भर है.

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