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वाह पिता हो तो ऐसा, ससुरालियों ने तंग की बेटी तो ढोल-नगाड़े बजवाकर धूमधाम से ले आए घर वापस, Video

उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक पिता ने जिस तरह धूम-धाम से अपनी बेटी को विदा किया था, ठीक उसी तरह उसे वापस घर लेकर आए. बेटी के घर लौटने पर पिता ने धूमधाम से जश्न भी मनाया.

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उत्तर प्रदेश के कानपुर से दिल को छू लेने वाली खबर सामने आई है. कानपुर के एक पिता ने समाज की परंपराओं की बेड़ियों को तोड़कर ऐसा काम कर दिखाया जो किसी ने कभी सोचा भी नहीं होगा. आमतौर पर शादी के बाद दुल्हन की विदाई बड़े धूम-धाम से होती है, लेकिन यहां एक पिता ने अपनी 36 साल की बेटी की तलाक के बाद घर वापसी पर ढोल बजाकर उसका स्वागत किया. आए दिन ऐसी खबरें आती हैं कि बेटी ने ससुराल वालों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली, फांसी लगा ली, आदि. पर आज एक पिता ने ऐसा काम कर दिखाया कि अगर हर पिता इस तरह से सोचने लगे तो कल को कोई भी बेटी आत्महत्या करने के लिए मजबूर नहीं होगी. 

ढोल बजाकर किया बेटी का स्वागत
कानपुर के रहने वाले अनिल कुमार बीएसएनएल कंपनी में काम करते हैं. कलयुग में जहां बेटियों को पराया धन माना जाता है, वहां उन्होंने अपनी बेटी ऊर्वी के तलाक के बाद घर वापसी पर धूमधाम से जश्न मनाया. वह ढोल बजाते हुए बेटी को मायके लेकर आए. पिता ने कहा जिस बेटी को बहू बनाकर उसके ससुराल भेजा था, अब उसे फिर बेटी बनाकर घर लाए हैं. अब बेटी और पांच साल की नातिन की जिम्मेदारी वह खुद उठाएंगे. दरअसल, ऊर्वी के ससुराल वाले उसे परेशान करते थे, जिसके बाद उसके पिता धूम-धाम से नाचते हुए अपनी बेटी को वापस अपने घर ले आए. 

 

पति ने बेटी होने पर दिया तलाक
आज के समय में लोग बेटी को पराया धन समझते हैं. शादी होने के बाद बेटी के ससुराल को ही उसका असली घर समझा जाता है. लेकिन इन सबके बीच कानपुर के अनिल कुमार ने इन सभी बातों का खंडन कर दिया है. उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि समाज में एक अच्छा संदेश जाए और लोग अपनी बेटियों को शादी के बाद नजरअंदाज करने के बजाय उन्हें समझने की कोशिश करें. आपको बता दें कि जब शादी के कुछ समय बाद ऊर्वी ने बेटी को जन्म दिया तो उसके पति ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया. जहां एक पिता ने बेटी होने पर ऐसा बर्ताव किया, वहीं ऊर्वी के पिता ने एक मिसाल कायम कर दी है. इस प्यार भरे स्वागत का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है. वीडियो में ऊर्वी को घर वापसी की रस्मों को पूरा करते देखा जा सकता है, इसी दौरान ढोल की धमाकेदार आवाज पूरे मोहल्ले में गूंज रही है. ऐसा ही एक किस्सा रांची से आया था जहां पिता प्रेम गुप्ता ने भी अपनी बेटी को ससुराल में प्रताड़ित किए जाने के बाद धूमधाम से बैंड-बाजे के साथ स्वागत किया था. 


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अगर हर बेटी के पिता ऐसा सोचने लगें और अपनी बेटियों की परेशानियों को समझकर उनका साथ देंगें, तो दुनियाभर में कोई भी लड़की ससुराल द्वारा प्रताड़ित किए जाने या किसी भी दूसरी परेशानी से परेशान होकर खुदकुशी करने की बजाए अपने घर वालों को अपनी हालत बताएगी. एक कदम चलने से ही बदलाव की ताबीर लिखी जाती है. देश को ऐसे ही बेटियों के बाप की जरूरत है जो बेटी को पराया धन मानकर उन्हें ससुराल में मरने के लिए नहीं छोड़ते हैं, बल्कि उनके हालत को समझते हैं और इज्जत से वापस घर ले आते हैं.

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