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क्या है Monkey Fever, जिसकी वजह से अब तक 4 लोगों की मौत, कैसे करें इससे बचाव?

Monkey Fever Symptoms: मंकी फीवर यानी केएफडी किलनी (Ticks) नामक जीव के काटने से फैलता है, जो आम तौर पर बंदरों में मिलता है. यह जीव मनुष्यों को काटता है जिससे संक्रमण होता है.

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क्या है Monkey Fever, जिसकी वजह से अब तक 4 लोगों की मौत, कैसे करें इससे बचाव?

Monkey Fever

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कोरोना वायरस के बाद अब मंकी फीवर (Monkey Fever) का खतरा बढ़ता जा रहा है. कर्नाटक में इस वायरस की वजह से अब तक चार लोगों की मौत हो गई है. जबकि 49 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के प्रयास में जुट गए हैं. 

राज्य के शिवमोगा जिले में मंकी फीवर यानी क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) के चलते सोमवार को 57 साल एक महिला की मौत हो गई. इस साल केएफडी से मरने वाले लोगों की संख्या चार हो गई है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि महिला उत्तर कन्नड़ जिले की निवासी थी, जो वायरस से प्रभावित क्षेत्रों में शामिल है.

स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'केएफडी के कारण एक और मौत की सूचना मिली. शिवमोगा में 57 साल की महिला की मौत हो गई. वह पिछले 20 दिनों से ICU में भर्ती थी और वेंटिलेटर सपोर्ट पर थी. उसे कई समस्याएं थीं. इस वायरस के कारण राज्य में मरने वालों की कुल संख्या अब चार हो गई है.'


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कैसे फैलता है Monkey Fever?
अधिकारियों के अनुसार, मंकी फीवर यानी केएफडी किलनी (Ticks) नामक जीव के काटने से फैलता है, जो आम तौर पर बंदरों में मिलता है. यह जीव मनुष्यों को काटता है जिससे संक्रमण होता है. मनुष्य भी किलनी के काटे गए मवेशियों के संपर्क में आने से इस रोग की चपेट में आ जाते हैं. कर्नाटक के अलावा महाराष्ट्र  और गोवा में भी इसके केस देखने को मिले हैं. 

मंकी फीवर के लक्षण
1957 में क्यासानूर के जंगल में ये वायरस एक बंदर से इंसानों में आया था. इस वजह से इसे मंकी फीवर कहा गया. अचानक बुखार आना, सिरदर्द, उल्टी दस्त, मांसपेशियों में दर्द, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और थकान मंकी फीवर के कुछ बड़े लक्षण हैं.  हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो मंकी फीवर की वजह से नाक और मसूड़ों से खून आना, हेमरेजिक मेनिफेस्टेशन और नर्वस सिस्टम संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं.

कैसे करें बचाव?
इसका कोई स्पेसिफिक इलाज नहीं है. स्वास्थ्य विभाग इसका इलाज ढूंढने में लगा हुआ है. लंबे समय से इसकी कोशिश चल रही है. फिलहाल वैक्सी ही इकलौता इलाज है. जो लोग जंगलों में आते जाते हैं, उनको यह वैक्सीन दी जाती है. अभी तक सिर्फ कर्नाटक के जंगल में जाने वालों में ऐसी समस्या सामने आई है. ऐसे में लोगों को इससे बचाव के लिए कुछ सावधानी बरतनी चाहिए.

  • जंगल में जाने के लिए फुल बाजू के कपड़े, पैंट और बंद जूते पहनें.
  • ओपन स्किन के बचाव के लिए DEET युक्त इंसेक्ट रिपेलेंट का इस्तेमाल करें.
  • बंदर और उनके इलाकों के सीधे संपर्क में आने से बचें.
  • अगर आपको लगातार बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द समेत अन्य लक्ष्यण हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

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