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'दलित नहीं था रोहित वेमुला, डरकर की सुसाइड' जानिए BJP की नाक में दम करने वाले केस में क्या बोली हैदराबाद पुलिस

Who was Rohith Vemula: रोहित वेमुला ने साल 2016 में आत्महत्या कर ली थी. विपक्षी दलों ने तब BJP नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर दलित छात्र को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाकर लंबा आंदोलन चलाया था.

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Who was Rohith Vemula: लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) की गहमागहमी के बीच एक ऐसी खबर सामने आई है, जो BJP को बड़ी राहत दे सकती है. करीब 8 साल पहले भाजपा के गले की घंटी बना रोहित वेमुला सुसाइड केस (Rohith Vemula Suicide Case) बंद करने के लिए हैदराबाद पुलिस ने कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की है. पुलिस ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में जो बात लिखी है, उससे सारा मामला ही उलट गया है. पुलिस ने दावा किया है कि साल 2016 में सुसाइड करने वाला हैदराबाद यूनिवर्सिटी का छात्र रोहित वेमुला दलित नहीं था. उसने अनुसूचित जाति (SC) से होने के फर्जी दस्तावेज जमा करा रखे थे और 'असली पहचान' जाहिर होने के डर से ही उसने आत्महत्या की थी. बता दें कि रोहित की मौत के लिए भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताकर विपक्षी दलों ने लंबे समय तक हंगामा किया था. यूनिवर्सिटीज में दलित छात्रों के साथ भेदभाव का मुद्दा उठाकर देशव्यापी आंदोलन चलाए गए थे. 

क्या था रोहित की सुसाइड का पूरा मामला

रोहित वेमुला हैदराबाद यूनिवर्सिटी में आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन नाम के एक संगठन से जुड़ा हुआ ता. साल 2015 में रोहित समेत 5 छात्रों पर ABVP के एक मेंबर पर हमले का आरोप लगा था. यूनिवर्सिटी ने पहले पांचों छात्रों को क्लीन चिट दी थी, लेकिन बाद में इन्हें दोषी घोषित कर हॉस्टल से निकालने के नोटिस जारी कर दिए थे. इसके बाद रोहित ने 17 जनवरी, 2016 को अपने हॉस्टल रूम में सुसाइड कर ली थी. उस समय यह कहा गया था कि भाजपा नेताओं के दबाव में यूनिवर्सिटी ने अपना फैसला बदला है. इसके लिए तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी की तरफ से भी यूनिवर्सिटी प्रशासन पर दबाव बनाए जाने के आरोप लगाए गए थे. दलित छात्र के उत्पीड़न के आक्रोश में पूरे देश में आंदोलन किए गए थे. हालांकि भाजपा ने सारे आरोप खारिज कर दिए थे.

क्या बताया है पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट में

रोहित वेमुला की आत्महत्या की जांच हैदराबाद की साइबराबाद पुलिस कर रही है. साइबराबाद पुलिस ने स्थानीय रिपोर्ट में जो क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है. उसमें कहा गया है कि रोहित को खुद भी यह पता था कि वह दलित नहीं है. रोहित को इस बात की जानकारी थी कि उसकी मां ने फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया है. इसके बाद पुलिस ने रिपोर्ट में संभावना जाहिर की है कि अपने दलित नहीं होने की पहचान सभी के सामने आने का लगातर डर रोहित के आत्महत्या करने का कारण हो सकता है, क्योंकि ऐसा होने पर उससे वह डिग्री छीन ली जाती, जो उसने कई साल पढ़ाई करने के बाद हासिल की थी और मुकदमा भी चलाया जा सकता था. 

सुसाइड के लिए उकसाने के सबूत नहीं

पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट में लिखा है कि जांच में मृत रोहित वेमुला के कई मुद्दों पर परेशान होने की बात सामने आई है. ये सभी मुद्दे ऐसे हैं, जिनके कारण वह सुसाइड कर सकता था. रिपोर्ट में आगे लिखा है, जांच में सभी तथ्यों की परख करने के बाद भी कोई ऐसा सबूत नहीं मिला है, जिससे यह साबित हो सके कि आरोपियों ने मृतक को सुसाइड करने के लिए उकसाया था.

कई बड़े नाम थे आरोपियों की लिस्ट में

रोहित वेमुला के सुसाइड करने के बाद उसे इस कदम को उकसाने के लिए कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था. इनमें हैदराबाद यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति अप्पा राव पोडिले, सिकंदराबाद के तत्कालीन सांसद व हरियाणा के मौजूदा राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय शामिल थे. इसके अलावा तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी, विधान परिषद सदस्य एन. रामचंदर राव आदि पर भी उंगलियां उठी थीं.

(With PTI Inputs)

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