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Gyanvapi मस्जिद के व्यास तहखाने पर सुनवाई पूरी, Allahabad High Court ने सुरक्षित रखा फैसला

Gyanvapi Mosque Case Updates: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को वाराणसी कोर्ट के 21 जनवरी के आदेश पर सुनवाई पूरी कर ली है, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति दी गई है.

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Gyanvapi Masjid Case Verdict: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई पूरी कर ली है. हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है, जिसे बाद में सुनाया जाएगा. हाई कोर्ट मस्जिद के व्यास तहखाने में हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति देने वाले वाराणसी कोर्ट के 21 जनवरी के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रहा है. यह याचिका ज्ञानवापी मस्जिद समिति की तरफ से दाखिल की गई थी, जिसमें मस्जिद परिसर में पूजा पर आपत्ति जताई गई है.

पढ़ें- Gyanvapi: मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका, ज्ञानवापी में पूजा पर रोक लगाने से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे हाई कोर्ट जाने के आदेश

वाराणसी की अदालत की तरफ से व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति देने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद इंतजामिया कमेटी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मस्जिद कमेटी की तरफ से की गई व्यास तहखाने में पूजा पर रोक लगाने की मांग खारिज कर दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को पहले हाई कोर्ट में अपील करने का आदेश दिया था.

'मुस्लिम तहखाने में नमाज नहीं पढ़ते'

हिंदू पक्ष की तरफ से पेश सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने तहखाने में पूजा से मुस्लिम अधिकार प्रभावित होने के दावे को गलत बताया. करीब 40 मिनट तक अपनी दलील रखने के दौरान उन्होंने कहा कि मुस्लिम कभी तहखाने में नमाज नहीं पढ़ते हैं. इसलिए वहां हिंदू पूजा की इजाजत से मुस्लिमों का कोई अधिकार प्रभावित नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि व्यास तहखाना ज्ञानवापी मस्जिद के दाहिने हिस्से में है, जहां हिंदू पक्ष 1993 तक पूजा कर रहा था. 

'डीएम को रिसीवर बनाना ही आदेश की खामी'

मस्जिद कमेटी की तरफ से सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी ने दलीलें पेश कीं. उन्होंने कहा कि डीएम को रिसीवर बनाना ही वाराणसी के जिला जज के फैसले की सबसे बड़ी खामी है. व्यास परिवार पहले ही पूजा का अधिकार काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को ट्रांसफर कर चुका है. ऐसे में वे अर्जी कैसे दाखिल कर सकते हैं. डीएम काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के सदस्य हैं तो उन्हें रिसीवर कैसे बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष CRPC की धारा 151 व 152 को सही तरीके से पेश नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि जिला जज ने अपनी सुविधा के हिसाब से फैसला पारित किया है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि व्यास खाने का अस्तित्व दस्तावेजों में नहीं है. नकवी ने पंडित चंद्रनाथ व्यास की वसीयत के दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि इनमें कहीं मौजूद संपत्ति का सामान्य विवरण दिया गया है, लेकिन यह पूरा नहीं है.

जिला अदालत के फैसले से 31 साल बाद हुई है पूजा

व्यास तहखाने में पिछले 31 साल से हिंदू पूजा-पाठ बंद थी. वाराणसी जिला अदालत के 21 जनवरी को आए फैसले के बाद तहखाना फिर से पूजा के लिए खुल चुका है. मस्जिद पक्ष ने इसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जहां से उन्हें हाई कोर्ट भेज दिया गया था. 

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