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फेफड़ों को ही नहीं, दिमाग को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है Asthma, हेल्थ एक्सपर्ट्स ने दी चेतावनी

Asthma: हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक अस्थमा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को भी बाधित कर सकता है. जानें क्या है इसपर विशेषज्ञों राय...

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अस्थमा

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अस्थमा (Asthma) आज के समय में एक गंभीर बीमारी बन कर सामने खड़ी है. आकड़ों की मानें तो हर साल करीब 2,50,000 लोगों इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, अस्थमा एक खराब सांस लेने की वो स्थिति है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है. इसकी वजह से मरीजों के फेफड़ों की दीवारें मोटी हो जाती हैं और इसमें बलगम भर जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि यह बीमारी दिमाग के कार्यों को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है?

बता दें कि धूल के कण या वायरल संक्रमण अस्थमा के दौरान सांस लेने के मार्ग को और भी संकीर्ण कर देता है. हाल ही में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अस्थमा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मस्तिष्क की (Impact Of Asthma on The Brain) कार्यप्रणाली को भी बाधित कर सकता है. 

अस्थमा से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर पड़ता है असर

फोर्टिस अस्पताल, गुरुग्राम में न्यूरोलॉजी के चीफ और प्रिंसिपल डायरेक्टर प्रवीण गुप्ता ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि, ''अस्थमा के दौरे के कारण ऑक्सीजन की कमी से मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है और बार-बार अस्थमा के दौरे पड़ने के अलावा स्थिति के खराब प्रबंधन से नींद में खलल पड़ सकती है, जिससे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली खराब हो सकती है.''

क्या कहती है स्टडी

हाल ही में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि अस्थमा से पीड़ित वयस्क और बच्चे दोनों ही याददाश्त की कमी का अनुभव करते हैं. अस्थमा के मरीजों में ऐसी याददाश्त दिमाग की संरचना में बदलाव के कारण होती है. इस स्थिति में अस्थमा के रोगियों को हिप्पोकैम्पस की मात्रा में कमी का अनुभव होता है, जो कि याददाश्त की कमी से जुड़ा हुआ माना जाता है.

इसके अलावा अस्थमा के मरीजों में रासायनिक एनएए का स्तर भी कम होता है, जिससे उनकी याददाश्त कम होने लगती है. वहीं अस्थमा के अटैक के दौरान ऑक्सीजन की कमी हिप्पोकैम्पस को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे कारण पीड़ित व्यक्ति के लिए कार्यों को सीखना कठिन हो जाता है. 

नारायणा हॉस्पिटल-आरएन टैगोर हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी कंसल्टेंट अरात्रिका दास ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि, ''  बच्चों में अस्थमा विशेष रूप से न्यूरोलॉजिकल फंक्शन पर प्रभाव डाल सकता है. इसके अलावा हाइपोक्सिया सूजन और बीमारी का पुराना तनाव जैसे कारक संभावित रूप से तंत्रिका-संज्ञानात्मक कार्य को प्रभावित कर सकते हैं.  बच्चों में अस्थमा और अलग-अलग न्यूरोलॉजिकल परिणामों के बीच एक संबंध है, जिसमें याददाश्त की कमी, व्यवहार से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ना, नींद के पैटर्न में दिक्कत और संभावित दवा के दुष्प्रभाव भी शामिल हैं.''


पीएसआरआई हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट क्रिटिकल केयर स्लीप मेडिसिन नीतू जैन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि,  ''अस्थमा के कारण ब्रेन में ओवरलोड की स्थिति पैदा हो जाती है. यह स्थिति गंभीर अस्थमा से पीड़ित युवा और वृद्ध दोनों ही समूहों के रोगियों में देखी जाती है. इसकी वजह से सेरेब्रल हाइपोक्सिया (मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलना) भी हो सकता है. अस्थमा से जुड़ी याददाश्त की समस्या वैश्विक है और इसका शैक्षणिक और कार्यकारी कामकाज पर प्रभाव पड़ता है. ''
''इसके अलावा अस्थमा के मरीज तनाव और भावना से प्रभावित हो सकते हैं और भावनात्मक परेशानी पैदा करने वाला कोई भी कारक अस्थमा के अटैक का कारण बन सकता है. ''

बताते चलें कि हेल्थ एक्सपर्ट्स ने अस्थमा और न्यूरोलॉजिकल फंक्शन के बीच जटिल अंतर संबंध को समझने की कोशिश की है. उन्होंने उपचार रणनीतियों को अनुकूलित करने और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए अस्थमा की देखभाल और तंत्रिका संबंधी दोनों पहलुओं पर ध्यान देने की सलाह दी है. (यह खबर आईएएनएस द्वारा ली गई है.) 

Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.

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