Khatu Shaym Temple History: कृष्ण से जुड़ा है मंदिर का इतिहास, जानिए श्याम को 'शीश दानी' क्यों कहते हैं

| Updated:Aug 08, 2022, 01:00 PM IST

Khatu Shyam Temple: खाटू श्याम को कई नामों से बुलाया जाता है, शीश दानी और कलियुग का भगवान, लोगों का सहारा है खाटू श्याम, जानिए मंदिर का इतिहास और क्या है इसकी महिमा

डीएनए हिंदी: राजस्थान के सीकर स्थित (Rajasthan Sikar) खाटू श्याम (Khatu Shaym Temple) के मंदिर में हर साल लोगों की काफी भीड़ होती है. कई बार तो श्रद्धालु खाटू श्याम के दर्शन करने के लिए सुबह से शाम तक लाइन में लगते हैं और फिर बहुत धक्का मुक्की होती है. खाटू श्याम का मंदिर (Khatu Shyam Mandir) आज का नहीं है बल्कि हजारों साल पुराना है. राजस्थान में यह सबसे प्रसिद्ध मंदिर है, यहां दूर दूर से लोग निशान चढ़ाने के लिए आते हैं. श्री खाटू श्याम जी का मंदिर भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए प्रमुख पूजा स्थल माना जाता है. खाटू श्याम के कई नाम हैं और उनकी महिमा भी बहुत है. आईए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और क्या है खाटू श्याम की महिमा. 

भगवान खाटू श्याम को वर्तमान समय (कलियुग) का देवता माना जाता है. खाटू श्याम मंदिर उत्तर भारत के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है. मंदिर के मूल संस्थापकों के वंशज ऐतिहासिक रूप से मंदिर की सेवा करते रहे हैं.ऐसा माना जाता है कि श्री खाटू श्याम मंदिर में हर साल लगभग एक लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. 

यह भी पढ़ें- कामाख्या मंदिर का इतिहास और इसकी महिमा सुनकर आप जरूर करने जाएंगे दर्शन 

खाटू श्याम जी मंदिर का इतिहास क्या है (History of Khatu Shyam Temple) 

खाटू श्याम राजस्थान के खाटू शहर में भगवान कृष्ण (Lord Krishna) का एक सदियों पुराना मंदिर है.खाटू श्याम मंदिर भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए जाना जाता है जो उनके सिर के रूप में है, श्याम की मूर्ति का रंग भी सांवरा है और उसका आधा सिर कटा हुआ है.राजस्थान के यह राज्य के सबसे प्रमुख पूजा स्थलों में से एक है. इस बेहद खूबसूरत मंदिर की उपस्थिति के कारण ही शहर की लोकप्रियता बढ़ी है.

खाटू श्याम मंदिर की कहानी महाभारत के सदियों पुराने हिंदू महाकाव्य से आती है. पांडवों में से एक,भीम के परपोते वीर बर्बरीक को भगवान कृष्ण का बहुत बड़ा भक्त माना जाता है. उन्होंने श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेम के प्रतीक के रूप में अपना सिर बलिदान कर दिया था. इस महान बलिदान से प्रभावित होकर भगवान ने वीर बर्बरीक को आशीर्वाद दिया. वरदान यह था कि कलियुग में श्याम के रूप में उनकी पूजा की जाएगी.बर्बरीक के इस महान बलिदान ने उन्हें “शीश के दानी” का नाम दिया था. श्री खाटू श्याम में श्याम के रूप में पूजे जाने वाले वीर बर्बरीक अपने भक्तों में ‘हारे का सहारा’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं.भगवान कृष्ण के भक्तों का मानना ​​है कि भगवान हमेशा शुद्ध हृदय वाले लोगों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

यह भी पढ़ें- क्या आपने इस मंदिर के बारे में सुना है, आईए जानते हैं 

माना जाता है कि मंदिर का निर्माण खाटू श्याम के शासक राजा रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने करवाया था.रूप सिंह का एक सपना था जिसमें उन्हें खाटू के एक कुंड से श्याम शीश निकालकर मंदिर बनाने के लिए कहा गया था. उसी कुंड को बाद में ‘श्यामा कुंड’ के नाम से जाना जाने लगा. 

पौराणिक कथा (Mythological Story)

एक मान्यता यह भी है की करीब 1000 साल पहले एकादशी के दिन बाबा का शीश श्यामकुंड में मिला था. यहां पर कुएं के पास एक पीपल का बड़ा पेड़ था. यहां पर आकर गायों का दूध स्वत ही झरने लगता था. गायों के दूध देने से गांव वाले हैरत में थे. गांव वालों ने जब उस जगह खुदाई की तो बाबा श्याम का शीश मिला था. शीश को चौहान वंश की रानी नर्मदा कंवर को सौंप दिया गया, बाद में विक्रम संवत 1084 में इस शीश की स्थापना मंदिर में की गई उस दिन देवउठनी एकादशी थी.भक्त इस पवित्र तालाब में इस विश्वास के साथ पवित्र स्नान करते हैं कि यह स्नान उन्हें सभी रोगों और संक्रमणों से छुटकारा दिलाएगा.

मंदिर की वर्तमान वास्तुकला दीवान अभयसिंह द्वारा 1720 के आसपास पुनर्निर्मित की गई है. भगवान बर्बरीक,जिन्हें वर्तमान समय (कलियुग) का देवता माना जाता है. यहां भगवान कृष्ण के रूप में उनकी पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में जरूरतमंदों के सहायक के रूप में पूजनीय भगवान खाटू श्याम यहां निवास करते हैं और अपने भक्तों की सभी प्रार्थनाओं का उत्तर देने के लिए प्रसिद्ध हैं. 

कैसे जाएं (Route to reach Khatu Shyam)

खाटूश्याम मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ.इनको खाटू नरेश भी कहते हैं. अगर आप राजस्थान जा रहे हैं तो आपको इनके दर्शन करने चाहिए. लोग दूर दूर से निशान लेकर पैदल आते हैं.

राजस्थान से रूट

यहां ट्रेन, बस दोनों ही जाती है 
अगर आप दिल्ली से आ रहे हैं तो पहले झूंझनू आएं और फिर वहां से सीकर 2 घंटे में बस या गाड़ी से जा सकते हैं. 
दिल्ली से चुरू या फिर सालासर के लिए बस चलती है, यह रोडवेज बसें भी आपको राजस्थान के बिकानेर या फिर खाटू श्याम ले जाती है 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर

khatu shyam temple Religion rajasthan temple khatu shaym stampede