Twitter
Advertisement
  • LATEST
  • WEBSTORY
  • TRENDING
  • PHOTOS
  • ENTERTAINMENT

पुरानी से नई संसद तक 70 साल का सफर, जो बन गया भारतीय राजनीति की यादों की अमिट कहानी

Parliament News: देश की आजादी के बाद उसे विश्व गुरु की पहचान दिलाने का सफर पुरानी संसद में शुरू हुआ और अब नई संसद तक पहुंच गया है.

पुरानी से नई संसद तक 70 साल का सफर, जो बन गया भारतीय राजनीति की यादों की अमिट कहानी

Parliament.

FacebookTwitterWhatsappLinkedin

डीएनए हिंदी: Latest News in Hindi- भारत की आजादी के लिए अनगिनत लोगों ने बलिदान दिया. देश लंबे समय के बाद गुलामी से बाहर निकला. जब देश आजाद हुआ तो भारत को फिर से उसे विश्वगुरु की पहचान दिलाने के लिए आजाद भारत के प्रणेताओं ने भरसक प्रयास शुरू कर दिए. और भारत को उसकी खोई हुई पहचान वापस दिलाने के लिए भारत ने 70 हर सालों में हर संभव प्रयास किए. भारत आर्थिक, सुरक्षा, सामरिक हर मोर्चे पर तेजी से बढ़ता गया. 

देश के बंटवारे और जंग के बीच भारतीय संसद लगातार भारत को सशक्त करने की तरफ बढ़ रही थी. संसद भवन, जिसे लोकतंत्र का मंदिर कहा जाता है, भारतीय लोकतंत्र के सुदृढ़ स्तंभ के रूप में खड़ा है और देश के नेताओं के लिए निरंतर और सकारात्मक रूप में काम करता है. 

आज जब नया संसद भवन पूरी क्षमता के साथ देश के विकास के लिए रणनीति बनाने के लिए तैयार है तब पुराना संसद भवन की ऐतिहासिकता को जानना बेहद खास हो जाता है. हमारी पुरानी ऐतिहासिक संसद जब इतिहास बन रही है तब भारतीय लोकतंत्र की समृद्धि पर विचार करना स्वभाविक है. इसी ऐतिहासिक संसद में देश के तमाम बड़े नेताओं ने देश के विकास के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया है. 

देश पर आई हर विपदा के दौरान इसी संसद में बैठी सरकार और सरकार के मुखिया ने हर तरह से लोकतंत्र को और सशक्त करने के लिए काम किया. आजादी के बाद देश को विकास की दिशा देने के लिए भारत के पहले प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू को हमेशा याद किया जाता रहेगा.

दरअसल देश की आजादी के बाद काउंसिल हाउस का ही नाम बदलकर संसद भवन रखा गया था. ये भवन आजादी के बाद भारत का भविष्य लिखने का सबसे बड़ा मंच गया और इसे नाम मिला लोकतंत्र का मंदिर. इस संसद भवन से देश के प्रधानमंत्रियों ने भविष्य के भारत की नींव रखी.

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने इस संसद से लोकतंत्र को मजबूत करने का प्रयास किया. ये ऐतिहासिक संसद गुलामी के कालखंड से सबक लेकर आज फिर से भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए तेजी से आगे बढ़ रही है.

ये संसद बंटवारे, भारत-पाक युद्ध, कारगिल वॉर, इमरजेंसी, संसद अटैक से लेकर भारत के हर बुरे और गौरवशाली पल की गवाह रही है. आज संसद जब एक नये भव्य और दिव्य स्वरुप में सुशोभित हो रही है तब हम इस पुरानी ऐतिहासिक संसद को यादों में संजो रहे हैं.

INPUT- आयुष त्यागी

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Advertisement

Live tv

Advertisement
Advertisement