May 8, 2024, 11:29 PM IST

यूपी की वो तवायफ जिसके सामने कोई नहीं लड़ना चाहता था चुनाव 

Rahish Khan

लोकसभा चुनाव के बीच संजय लीला भंसाली की 'हीरामंडी'  वेब सीरीज की चर्चा खूब हो रही है.

इस सीरीज में तवायफों की तहजीब और उनके जीवन से जुड़ी कहानियों के बारे में बताया गया है.

आज हम एक ऐसी तवायफ के बारे में बता रहे हैं, जो खूबसूरत ही नहीं बल्कि उनका रुतबा भी दूर-दूर तक फैला था.

हम बात कर रहे हैं लखनऊ के चौक इलाके की तवायफ दिलरुबा जान की. उन्होंने 1920 में लखनऊ में नगर पालिका का चुनाव लड़ा था. 

अंग्रेजी हुकूमत के दौर में दिलरुबा जान (Dilruba Jaan) ने कोठे की दीवार लांघकर चुनाव लड़ने का फैसला किया था.

चुनाव प्रचार में दिलरुबा के पीछे सैंकडों लोगों की भीड़ होती थी. हर तरफ उनके चुनाव लड़ने के चर्चे थे.

दिलरुबा जान का रुतबा ऐसा था कि चुनाव के आखिरी समय तक कोई उनके खिलाफ मैदान में उतरने के लिए तैयार नहीं था.

फिर लखनऊ के एक हकीम शमसुद्दीन ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया. वह भी चौक के नजदीक अकबरी गेट इलाके में रहता था.

उसने लखनऊ की दीवारों पर लिखवा दिया था 'दिल दीजिए दिलरुबा को, वोट शमसुद्दीन को'. हालांकि, दिलरुबा ने भी इसका माकूल जवाब दिया था.

उन्होंने शहर की दीवारों पर लिखवाया 'है लखनऊ के तमाम वोटर-ए-शौकीन, वोट देना दिलरुबा को, नब्ज शमसुद्दीन को'.

दिलरुबा जान की लोकप्रियता भले ही बहुत ज्यादा थी. लेकिन चुनावी नतीजों में जीत शमसुद्दीन को मिली.