Ukraine में MBBS की पढ़ाई छोड़कर भारत लौटे छात्र रामलीला मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे, जानिए क्या है उनकी मांग

| Updated:Jul 23, 2022, 03:17 PM IST

रामलीला मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे मेडिकल के छात्र (फोटो-Social media)

रूस-य्रूकेन युद्ध की वजह से MBBS की पढ़ाई छोड़कर भारत लौटे करीब 14 हजार मेडिकल स्टूडेंट्स केंद्र सरकार से अपनी आगामी पढ़ाई को जारी रखने की मांग कर रहे हैं. 

डीएनए हिंदी: रूस-य्रूकेन के बीच छिड़ी जंग (Russia-Ukrain War) के कारण एमबीबीएस की पढ़ाई छोड़कर भारत लौटे छात्रों को करीब पांच महा बीत गए हैं लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने देश के किसी कॉलेज में उनकी शिक्षा जारी रखने की मांग पूरी नहीं की है. इससे नाराज मेडिकल के छात्रों ने 23 जुलाई से दिल्ली के रामलीला मैदान (Ram Leela Ground) में भूख हड़ताल शुरू कर दी है. छात्रों की इस भूख हड़ताल को कांग्रेस,  एनएसयूआई (NSUI), आम आदमी पार्टी समेत कई पार्टियों ने समर्थन किया है.

मेडिकल छात्रों की इस भूख हड़ताल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, तारिक अनवर, राज्यसभा सांसद मुकुल वासनिक और आम आदमी पार्टी (AAP) नेता संजय सिंह समेत विपक्ष के कई नेता छात्रों से मिलने रामलीला मैदान जा सकते हैं. मानसून की वजह से छात्रों की इस हड़ताल के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में वाटर प्रूफ टैंट की व्यवस्था की गई है. इसमें पूरे देशभर से 500 यूक्रेन से लौटे एमबीबीएस छात्र- छात्राएं और उनके परिजन पहुंच रहे हैं. 

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27 जुलाई तक चलेगी छात्रों की भूख हड़ताल
पेरेंट्स एसोसिएशन ऑफ यूक्रेन एमबीबीएस स्टूडेंट्स (पीएयूएमएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरबी गुप्ता ने बताया कि दिल्ली के रामलीला मैदान में 23 जुलाई शनिवार से शुरू हुई भूख हड़ताल 27 जुलाई तक चलेगी, जिसमें सैंकड़ों की संख्या में स्टूडेंट्स व उनके परिजन पहुंचेंगे. केंद्र सरकार द्वारा मांग न माने जाने की स्थिति में छात्रों की भूख हड़ताल आगे भी बढ़ सकती है. PAUMS के महासचिव ने पंकज धीरज ने कहा कि यूक्रेन से लौटे करीब 14 हजार मेडिकल स्टूडेंट्स भारत में ही अपनी आगामी पढ़ाई को जारी रखने की मांग कर रहे हैं. 

छात्रों ने इसको लेकर पीएमओ और कई सासंदों को पत्र भी लिखा है लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है. उन्होंने कहा कि छात्रों ने इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय, एनएमसी, जंतर मंतर व जनपद मुख्यलायों पर शांति पूर्वक प्रदर्शन भी किया लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इस पर कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया है.

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