Hijab Row: कर्नाटक में हिजाब बैन हटाएगी सिद्धारमैया सरकार, BJP के कई कानूनों पर 'संकट'

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 25, 2023, 06:45 AM IST

कर्नाटक में हिजाब पर प्रतिबंध विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ा मुद्दा रहा था. (File Photo)

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा था कि राज्य में पार्टी के सत्ता में आने के बाद बीजेपी सरकार के हिजाब और सांप्रदायिक आधार पर बनाए गए सभी कानूनों को वापस ले लिया जाएगा.

डीएनए हिंदी: कर्नाटक (Karnataka) की नई कांग्रेस (Congress) सरकार राज्य में हिजाब पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए पूरी तरह तैयार है. नई सरकार मंत्रिमंडल विस्तार को पूरा करने का इंतजार कर रही है. 10 मई के विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करते हुए कांग्रेस ने कहा था कि बीजेपी सरकार की ओर से बनाए गए सांप्रदायिक कानूनों को सत्ता मिलते ही वापस लिया जाएगा.

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा था कि राज्य में पार्टी के सत्ता में आने के बाद पिछली बीजेपी सरकार द्वारा हिजाब पर प्रतिबंध और सांप्रदायिक आधार पर बनाए गए सभी कानूनों को वापस ले लिया जाएगा.

सांप्रदायिक आधार पर बनाए गए कानूनों को किया जाएगा बैन

कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध पर एमनेस्टी इंटरनेशनल की बढ़ती चिंता के बारे में पूछे जाने पर उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने बुधवार को विधानसभा में कहा, मैं हिजाब के मामले पर टिप्पणी नहीं करना चाहता क्योंकि यह एक नीतिगत मामला है. हालांकि, कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस हिजाब, हलाल कट और गोहत्या कानूनों पर प्रतिबंध वापस लेगी.

धर्मांतरण विरोधी कानून भी वापस लेगी कांग्रेस सरकार

सूत्रों के मुताबिक सिद्धारमैया सरकार इन कानूनों को वापस लेने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिसमें पिछली बीजेपी सरकार द्वारा लाया गया धर्मांतरण विरोधी कानून भी शामिल है. कनकपुरा कस्बे के पास कपालबेट्टा में 114 फुट ऊंची ईसा मसीह की प्रतिमा के निर्माण पर जल्द निर्णय लिया जाएगा.

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कैसे शुरू हुआ था हिजाब बैन पर विवाद?

उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की छह छात्राओं द्वारा शुरू किया गया हिजाब विवाद पिछले साल राज्य में एक संकट बन गया था. हिजाब के बिना कक्षाओं में जाने से इनकार करने वाली छात्राओं का अभी भी कहना है कि वे सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले का इंतजार करेंगी.

BJP पर लगे थे सांप्रदायिकता बढ़ाने के आरोप

इस मुद्दे ने सांप्रदायिक रंग ले लिया था और इसके परिणामस्वरूप राज्य में बदले की भावना से हत्याएं हुईं थीं. इस मुद्दे ने वैश्विक आतंकवादी संगठन अल-कायदा का ध्यान खींचा था. यह आरोप लगाया जाता है कि सत्तारूढ़ बीजेपी ने इस मुद्दे का इस्तेमाल अपने हिंदुत्व एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया, जिसने स्पष्ट रूप से समाज, विशेष रूप से छात्र समुदाय को विभाजित किया.

सधे कदमों से चाल चल रही कांग्रेस

सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इस मामले में सतर्कता से कदम बढ़ा रही है क्योंकि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर आगे बढ़ रही है. पार्टी बीजेपी को कोई मुद्दा नहीं देना चाहती है.

लेकिन, पार्टी के कुछ नेताओं की राय है कि पार्टी के लिए काम करने वाले घोषणापत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव जैसे मामले को आगे बढ़ाया जाना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक, इस संबंध में जल्द फैसला लिया जाएगा. (इनपुट: IANS)
 

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