Covishield लगवाने वाले लोगों को कितना खतरा? वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स कितने साल बाद तक आ सकते हैं नजर

Abhay Sharma | Updated:May 03, 2024, 12:29 PM IST

कोविशील्ड (Covishield) 

कोविशील्ड (Covishield) बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने जब से वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की बात स्वीकारी है, तब से लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं, आइए जानते हैं आखिर लोगों में इसका कितना खतरा है....

कोरोनाकाल में (Corona) कोविड महामारी से लोगों की जान बचाने के लिए देश-विदेश के सरकारों के द्वारा आनन फानन में लोगों के लिए वैक्सीन की व्यवस्था की गयी, लोगों ने वैक्सीन लगवा भी ली. लेकिन, हाल ही में  फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) की कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट की खबर आने के बाद लोगों के मन में कई तरह की चिंता बढ़ गई है. बता दें कि कंपनी ने कोर्ट में ये बात स्वीकार किया है कि कोविशील्ड (Covishield) से रेयर साइड इफेक्ट्स हुए हैं. 

ऐसे में आम लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. लेकिन, डॉक्टर्स का मानना है कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट की बातों से आम लोगों को घबराने की जरुरत नहीं है, वैक्सीन लगे हुए 2 साल से अधिक का समय बीत गया है. 

वैक्सीन लगने के कितने साल बाद तक है खतरा
 
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक वैक्सीन के साइड इफेक्ट के दिखने की संभावना आज की तारीख में बहुत ही कम है, क्योंकि वैक्सीन लगे दो साल से अधिक वक्त बीत चुका है. कोई भी टीका लगने के बाद इसका साइड इफेक्ट्स तुरंत बाद दिखती है या फिर महीने से डेढ़ महीने में असर दिखना शुरू हो जाता है. 


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हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक किसी भी टीके के roll out के बाद AEFI यानी After Events Following Immunization को देखा जाता है. भारत सरकार ने भी कोरोना के टीके लगने के दौरान लंबे वक्त तक मॉनिटरिंग की, इसके लिए पोर्टल बना, कमिटी बनी और समय समय पर इसको देखा गया. ऐसे में जो AEFI में जो असर दिखा भी वो 0.007 % ही था. ऐसे में डरने की कोई बात नहीं है. 

वैक्सीन का खतरा 

बात दें कि एस्ट्रेजनेका के 2 अरब 50 करोड़ से ज़्यादा डोजेज लगाए गए हैं, 2021 में ही यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने 222 लोगों में एस्ट्रेजनेका की वजह से ब्लड क्लोटिंग की बात कही थी और उस वक्त लाख में 1 को खतरा था. लिहाजा वैक्सीन लगने के बाद अब इसका खतरा और भी कम है. 


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रेयर केस में होती है ये बीमारी

कंपनी ने यह माना है कि कोविशील्ड दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है. इससे खून के थक्के (खासतौर से ब्रेन और पेट में) बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है. 

Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.

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