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48 परमाणु मिसाइल लेकर डूबने वाली थी ब्रिटिश पनडुब्बी, समुद्र में आ जाती सबसे बड़ी सुनामी, 5 पॉइंट्स में जानें कैसे बचा हादसा

British Nuclear Submarine Updates: ब्रिटिश पनडुब्बी को समुद्र की गहराइयों में गश्त पर निकलना था. इससे पहले ही वह तकनीकी खामी पकड़ी गई, जिससे पनडुब्बी समुद्र की गहराई में डूब सकती थी.

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British Vanguard Nuclear Submarine (File Photo)

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डीएनए हिंदी: World News in Hindi- ब्रिटेन की रॉयल नेवी की परमाणु पनडुब्बी के साथ हादसा होने से बाल-बाल बच गया है. रोजाना की तरह गश्त पर निकल रही पनडुब्बी में ऐन वक्त पर एक ऐसी तकनीकी खामी का पता चल गया, जिससे वह समुद्र में खतरनाक गहराई पर डूब सकती थी. द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब एक दशक पुरानी वैनगार्ड क्लास की पनडुब्बी में 140 क्रू मेंबर मौजूद थे, जिनकी जान दांव पर लग सकती थी. साथ ही यह पनडुब्बी 48 ट्राइडेंट-2 बैलेस्टिक मिसाइल से लैस थी, जो 48 परमाणु बमों के बराबर हैं. समुद्र में गश्त के दौरान यदि पनडुब्बी हादसे का शिकार होती तो ये परमाणु मिसाइल दबाव में फट सकती थीं, जिससे दुनिया की सबसे बड़ी सुनामी पैदा हो जाती और हर तरफ तबाही मच जाती.

आइए आपको 5 पॉइंट्स में बताते हैं कि इस हादसे के बारे में अब तक क्या पता लगा है.

1. अटलांटिक महासागर में गहराई पर करनी थी पनडुब्बी को गश्त

द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पनडुब्बी को अटलांटिक महासागर में खतरनाक गहराई पर गश्त के लिए निकलना था. रिपोर्ट में सुरक्षा कारणों से पनडुब्बी का नाम और जगह नहीं बताई गई है, लेकिन इतना कहा गया है कि तकनीकी खामी का पता लगने के समय पनडु्ब्बी यार्ड से निकलकर 'डेंजर जोन' में पहुंच चुकी थी.

2. कैसे पता चला तकनीकी खामी का

रिपोर्ट में कहा गया है कि गश्त पर निकलने के लिए पनडु्ब्बी के समुद्र में सफर शुरू करते ही उसके गहराई बताने वाले उपकरण ने काम करना बंद कर दिया. पनडुब्बी के कमांडर सोच रहे थे कि वह लेवल पर है, जबकि पनडुब्बी लगातार गहराई में उतरती जा रही ती. पनडुब्बी के 'डेंजर जोन' में पहुंचने पर एक इंजीनियर ने एक अन्य गॉज लेवल पर गहराई देखी और सिक्योरिटी अलार्म बजा दिया. इसके बाद हड़कंप मच गया और 490 फुट लंबी पनडुब्बी को तत्काल ऊपर लाने की कोशिश शुरू कर दी गई. 

3. इंजीनियर ने संयोगवश देखा उपकरण, उसकी ड्यूटी का नहीं था हिस्सा

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पनडु्ब्बी में ड्यूटी के दौरान उसकी गहराई पर नजर रखना इंजीनियर की ड्यूटी का हिस्सा नहीं था. उसने संयोगवश दूसरे गॉज लेवल की जांच करने का निर्णय लिया और उससे खतरे का पता चल गया. सूत्र ने कहा, टेक्नीकली पनडुब्बी तब भी इतनी गहराई पर थी, जहां उसे ऑपरेट किया जा सकता था. लेकिन यदि यह इससे भी ज्यादा गहराई पर चली गई होती तो हादसा होना तय था.

4. हाई लेवल जांच कर दी गई है शुरू

ब्रिटिश रॉयल नेवी के सूत्रों के मुताबिक, इस हादसे की हाई लेवल जांच शुरू कर दी गई है. हालांकि अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इससे ब्रिटेन के परमाणु अभियान को अभी कोई खतरा नहीं है. रॉयल नेवी ने ऑफिशियल बयान में इस हादसे पर कोई भी कमेंट करने से इंकार कर दिया है. नेवी ने कहा है कि हमारे गश्ती अभियान पूरी दुनिया में चल रहे हैं, जो राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए लगातार जारी रहेंगे.

5. ब्रिटेन के पास हैं चार परमाणु पनडुब्बी, 1969 से करती हैं लगातार गश्त

ब्रिटेन के पास वैनगार्ड क्लास की 4 परमाणु पनडुब्बियां हैं. इनमें से फिलहाल दो ही काम कर रही हैं. साल 1969 में हुए डूम्सडे अटैक के बाद से कम से कम एक ब्रिटिश परमाणु पनडुब्बी हमेशा गश्त पर रहती है. दोनों परमाणु पनडुब्बी बारी-बारी से यह ड्यूटी निभाती रहती हैं. ब्रिटिश नेवी ड्रेडनॉट क्लास पनडुब्बियां बना रही हैं, जो मौजूदा पनडुब्बियों की फ्लीट को साल 2030 तक रिप्लेस करेंगी.

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