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यूक्रेन युद्ध के बीच G-7 देशों पर भड़का रूस, तेल सप्लाई रोकने की दी धमकी

रूस ने कहा कि अगर हमें लगता है कि जी-7 देशों की तय की हुई तेल की कीमत सीमा वाजिब नहीं है तो हम साफ तौर पर वैश्विक बाजारों को तेल की आपूर्ति रोक देंगे.

यूक्रेन युद्ध के बीच G-7 देशों पर भड़का रूस, तेल सप्लाई रोकने की दी धमकी

Russia के राष्ट्रपति Vladimir Putin. (फाइल फोटो)

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डीएनए हिंदी: यूक्रेन से जारी युद्ध के बीच रूस ने शुक्रवार को जी-7 देशों को चेतावनी दी है कि अगर उनकी और से प्राइस कैप (तेल के कीमत की सीमा) लागू किया गया तो वह वह वैश्विक बाजारों में तेल की आपूर्ति बंद कर देगा. भारत में रूस के राजदूत डेनिस आलिपोव ने कहा कि प्राइस कैप तय किए जाने से वैश्विक बाजारों में तेल की भारी किल्लत पैदा हो जाएगी, जिससे कच्चे तेल के दाम में खासा उछाल आ सकता है.

डेनिस आलिपोव ने कहा, "अगर हमें लगता है कि जी-7 देशों की तय की हुई कीमत सीमा वाजिब नहीं है और वह हमें स्वीकार्य नहीं होती है तो हम साफ तौर पर वैश्विक बाजारों को तेल की आपूर्ति रोक देंगे. प्राइस कैप में अमेरिकी पहल का साथ देने वाले अन्य देशों को भी हम तेल की आपूर्ति बंद कर देंगे." यूक्रेन पर हमला करने के बाद से अमेरिका की अगुवाई में तमाम पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़ी आर्थिक पाबंदियां लगाई हुई है. इसके विरोध में रूस ने भी यूरोपीय देशों को तेल एवं गैस की आपूर्ति को काफी हद तक कम कर दिया है.

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तेल की किल्लत हो सकती है पैदा
रूस पर सख्ती बढ़ाने के लिए अमेरिका और अन्य विकसित देशों ने उसके पेट्रोलियम उत्पादों का अधिकतम मूल्य तय करने की बात कही है. रूस को ईंधन निर्यात से मिलने वाली विदेशी मुद्रा पर लगाम लगाने के लिए इस कदम के बारे में चर्चा चल रही है. इस संदर्भ में पूछे जाने पर रूसी राजदूत ने कहा कि रूस अपने व्यापार हितों को चोट पहुंचाने वाले किसी भी कदम को स्वीकार नहीं करेगा. आलिपोव ने कहा कि मूल्य दायरा तय किए जाने से वैश्विक बाजारों मे तेल की भारी किल्लत पैदा हो जाएगी जिससे कच्चे तेल के दाम में खासा उछाल आ सकता है.

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भारत इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ नहीं
अमेरिका ने रूसी तेल का मूल्य दायरा तय किए जाने की व्यवस्था का हिस्सा बनने का अनुरोध भारत से भी किया हुआ है. हालांकि, भारत ने कहा है कि वह इस प्रस्ताव का 'सावधानीपूर्वक परीक्षण' करने के बाद कोई निर्णय लेगा. इस बारे में रूसी राजदूत ने कहा, "भारत ने इस विचार पर अब तक सजग रवैया अपनाया हुआ है. यह विचार भारत के हितों के लिए लाभदायक नहीं होगा." हालांकि उन्होंने यह माना कि भारत इस तरह की व्यवस्था लागू होने पर अपने हितों के अनुरूप ही कोई फैसला करेगा.

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