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दुनिया
इजरायल पर अपने नवीनतम हमले में, ईरान ने खेबर शेकन क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जो यहूदी देश के प्रसिद्ध आयरन डोम को भेदकर निकल गईं. मिसाइल का नाम 'खेबर ब्रेकर' है, जो अरब में यहूदी जनजातियों के खिलाफ 7वीं शताब्दी की लड़ाई की याद दिलाता है.
ईरान-इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष के बीच, ईरान के परमाणु स्थलों पर अमेरिका के हमलों के बाद, तेहरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3 के तहत इज़रायल के खिलाफ़ मिसाइल और ड्रोन हमलों की अपनी 20वीं लहर शुरू की. नवीनतम हमले में मल्टी-वॉरहेड मिसाइल खैबर शेकन का इस्तेमाल किया गया, जिसने इज़रायल की प्रसिद्ध वायु रक्षा प्रणाली, आयरन डोम को भेद दिया.
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) एयरोस्पेस फोर्स द्वारा संचालित ठोस ईंधन, मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल की एक दिलचस्प व्युत्पत्ति है, जो ईरान और इज़रायल के लिए ऐतिहासिक महत्व से भरी हुई है.
ध्यान रहे अरबी में खैबर शेकन का अनुवाद 'खैबर ब्रेकर' होता है. द जेरूसलम पोस्ट के अनुसार, यह अरब में मुसलमानों और यहूदियों के बीच 7वीं शताब्दी की ख़ैबर की लड़ाई को संदर्भित करता है. हालांकि इस जगह का नाम ख़ैबर है, दिलचस्प ये कि ईरान की मिसाइल का नाम भी खैबर है.
जब मिसाइल का निर्माण पहली बार 2022 में किया गया था, तो ईरान के मीडिया ने इसे सीधे तौर पर 'यहूदी विरोधी लड़ाई' से नहीं जोड़ा था, जैसा कि द जेरूसलम पोस्ट ने बताया.
हालांकि, यहूदियों के खैबर नरसंहार के संदर्भों का इस्तेमाल कथित तौर पर इस क्षेत्र में इज़राइल और यहूदी लोगों के खिलाफ़ युद्ध के नारे के रूप में किया गया है.
इस्लाम में क्या महत्व रखता है खैबर ?
इस्लामिक जानकारों के अनुसार, 'खैबर की लड़ाई 629 एएच में पैगंबर की सेना और ख़ैबर के यहूदियों के बीच लड़ी गई थी.' एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, खैबर की लड़ाई अरब प्रायद्वीप में शुरुआती मुसलमानों और यहूदी जनजातियों के बीच जटिल बातचीत के दौर में हुई थी.
622 ई. में पैगंबर मुहम्मद के मदीना प्रवास के बाद, उन्होंने स्थानीय यहूदी जनजातियों के साथ गठबंधन स्थापित करने की कोशिश की. हालांकि, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता, टूटे हुए समझौतों और मुसलमानों के खिलाफ़ मक्का के कुरैश जनजाति के साथ कुछ यहूदी जनजातियों द्वारा बनाए गए गठबंधनों के कारण तनाव पैदा हुआ.
किवदंती है कि, 'पैगंबर की तरफ से इमाम अली को एक किले पर विजय प्राप्त करने के लिए भेजा गया था. इस लड़ाई में, न केवल एक प्रसिद्ध यहूदी कमांडर मरहब, अली की तलवार से मारा गया, बल्कि किले पर भी कब्जा कर लिया गया.
इस्लामी जीत के बाद, 'यहूदियों को विजेताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए कहा गया और उन्हें वहां से पलायन करने की अनुमति दी गई. इसके अलावा तब बानू घाटाफान और बानू कुरैजा जैसी यहूदी जनजातियों को तीखी आलोचना का भी सामना करना पड़ा.
कहा जाता है कि 10,000-20,000 यहूदियों और 1,400 मुसलमानों की सेना के बावजूद, मौतें उल्लेखनीय रूप से कम थीं, जिसमें 93 यहूदी और 18 मुसलमान मारे गए, और दोनों पक्षों के 50 लोग घायल हुए.' 'इस लड़ाई को यहूदी लोगों पर इस्लाम की सबसे बड़ी जीत माना जाता है.'
यहूदी विरोधी प्रदर्शनों में ख़ैबर का ज़िक्र
जेरूसलम पोस्ट के अनुसार, मध्य पूर्व में इजरायल विरोधी और यहूदी विरोधी प्रदर्शनों में अक्सर 'खैबर, खैबर या यहूद' का नारा लगाया जाता है. इस नारे को यहूदी विरोधी माना जाता है.
अमेरिकी यहूदी समिति (AJC) ने उल्लेख किया कि इस तरह के नारों का इस्तेमाल मई 2022 में यूरोप और अमेरिका में हुए यहूदी विरोधी प्रदर्शनों में किया गया था, जो इज़राइल और हमास के बीच संघर्ष की पृष्ठभूमि में हुआ था.
AJC की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'ब्रसेल्स में यहूदी विरोधी प्रदर्शनकारियों ने 'खैबर, खैबर या यहूद! जैश मुहम्मद सा-या'उद' या का नारा लगाया.'
इजरायल को चेतावनी देने के लिए खैबर युद्ध को किया खामेनेई ने याद
अयातुल्ला अली खामेनेई ने ईरान-इजरायल संघर्ष के पांचवें दिन एक्स पर एक पोस्ट में खैबर की लड़ाई में यहूदी किले के सामने अपनी तलवार जुल्फिकार के साथ इमाम अली की छवि का हवाला दिया. जबकि मिसाइलों की 20वीं लहर में खैबर शेकन के अलावा अन्य मिसाइलें भी शामिल थीं, तेल अवीव के रमत गण जिले में कथित तौर पर नौ इमारतें नष्ट हो गईं, और हाइफा में भी विस्फोटों की सूचना मिली.
रिपोर्ट बताती है कि यह क्षति मुख्य रूप से खैबर शेकन मिसाइलों के कारण हुई. माना जा रहा है कि वैचारिक विरासत पर आधारित, गति और सटीकता के लिए बनाई गई मिसाइल, इजरायल के खिलाफ ईरान के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार साबित हो रही है.