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Meta: भारत में मेटा को तगड़ा झटका, CCI ने लगाया 213 करोड़ का जुर्माना और 5 साल का बैन!

Meta News: भारत में मेटा को तगड़ा झटका लगा है. सोमवार को मेटा पर CCI ने 213.14 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. साथ ही 5 साल का बैन भी लगाया है. 

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Meta: भारत में मेटा को तगड़ा झटका, CCI ने लगाया 213 करोड़ का जुर्माना और 5 साल का बैन!
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CCI Fine On Meta: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने सोमवार को सोशल मीडिया दिग्गज मेटा पर 213.14 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है. यह जुर्माना 2021 में व्हॉट्सएप द्वारा लागू किए गए प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट से जुड़ा हुआ है, जिसे आयोग ने अनुचित व्यावसायिक प्रथाओं के रूप में माना. इसके अलावा, सीसीआई ने मेटा को आदेश दिया है कि वह भविष्य में प्रतिस्पर्धा-रोधी व्यवहार से बचें और अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में सुधार करें.

CCI ने लगाया बैन
CCI ने एक आदेश में कहा कि मेटा ने व्हॉट्सएप (WhatsApp) के डेटाबेस और उसे मेटा की अन्य सेवाओं से साझा करने के मामले में अपनी डॉमिनेंट पोजिशन का दुरुपयोग किया. 2021 में व्हॉट्सएप द्वारा जारी की गई नई प्राइवेसी पॉलिसी ने उपयोगकर्ताओं से डेटा शेयर करने के लिए सहमति लेने के बजाय इसे अनिवार्य बना दिया गया. इस पॉलिसी में यूजर्स को अपने पर्सनल डेटा को मेटा के अन्य उत्पादों और सेवाओं के साथ साझा करने के लिए मजबूर किया गया, जिसका उद्देश्य मेटा की बाजार स्थिति को और मजबूत करना था.

इतने वर्षों के लिए लगाया बैन
CCI ने आगे कहा कि यह पॉलिसी यूजर्स के चयन की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है. मेटा को प्रतिस्पर्धा-विरोधी लाभ देती है, जिससे अन्य कंपनियों के लिए बाजार में आना और मेटा से कॉम्पटिशन  करना मुश्किल हो जाए. आयोग ने मेटा को 5 साल तक व्हॉट्सएप से कलेक्ट किए गए यूजर डेटा को विज्ञापन उद्देश्यों के लिए अन्य मेटा उत्पादों या कंपनियों के साथ साझा करने से भी रोक दिया.


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2021 में शुरू हुई थी जांच
यह जांच मार्च 2021 में शुरू हुई थी, जब व्हॉट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी का विरोध शुरू हुआ था. तब से व्हॉट्सएप ने पॉलिसी के बारे में कई सफाई जारी कर और अंततः उसे स्थगित कर दिया था. हालांकि, सीसीआई (CCI) ने पाया कि मेटा की यह नीति न केवल गलत थी, बल्कि इसके कारण यूजर्स की स्वायत्तता भी कम हुई. इस आदेश के बाद, मेटा को भारत में अपनी व्यावसायिक प्रथाओं में सुधार करने की आवश्यकता होगी और उसे अपने डेटा संग्रहण और उपयोग की नीतियों को पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाने होंगे.

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