Apr 22, 2025, 11:51 PM IST

दिल्ली के धौला कुआं का असली नाम क्या है

Kuldeep Panwar

दिल्ली का धौला कुआं ऐसा पॉइंट है, जिससे दिल्ली में आने वाले का वास्ता जरूर पड़ता है और जहां का जाम इसे याद रखने पर मजबूर करता है.

धौला कुआं दिल्ली के सबसे व्यस्त चौराहों में से एक है, जहां के जाम को लेकर केंद्रीय सड़क मंत्री नितिन गडकरी भी कई बार चिंता जता चुके हैं.

दिल्ली मेट्रो का सबसे ज्यादा 23.6 मीटर ऊंचा स्टेशन भी धौला कुआं ही है. गुरुग्राम की मेट्रो लाइन का यहीं एयरपोर्ट मेट्रो के लिए जंक्शन है.

धौला कुआं को भले ही आज आप अंग्रेजी के Infinity आकार वाले फ्लाईओवर के तौर पर जानते हैं, लेकिन असल में यह जगह बहुत खास है.

चलिए आज हम आपको बताते हैं कि रिंग रोड पर गुरुग्राम या दिल्ली एयरपोर्ट जाने के लिए रास्ते में पड़ने वाले धौला कुआं को यह नाम कैसे मिला.

क्या कभी आपके भी दिमाग में आया कि इस जगह का यह नाम क्यों रखा गया? क्या यहां कभी ऐसा कुआं होता था, जिसे धौला कुआं कहते थे?

यदि आपके दिमाग में भी यह सवाल उठा है तो निश्चित तौर पर आप धौला कुआं के नाम की असली कहानी जानने के करीब पहुंच गए हैं.

धौला कुआं को यह नाम असल में यह नाम ऐसे कुएं से मिला, जिसमें खास तरह के पत्थर थे और उसका पानी हल्के सफेद रंग का होता था.

ऐतिहासिक दस्तावेजों के हिसाब से कुएं का निर्माण मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय ने कराया था, जिसकी अंदरूनी दीवार पत्थर से पत्थर जोड़कर बनी थी.

इन पत्थरों के बीच से ही पानी निकलता है, जिससे कुआं भरता है. यही पानी पहले खेतों में और अब पार्क की सिंचाई में इस्तेमाल होता है.

अपने सफेद पानी के कारण ही उस कुएं को धौला कुआं कहा जाने लगा, जो आज भी धौला कुआं चौराहे के बराबर में डीडीए पार्क में मौजूद है.

डीडीए ने इस कुएं को सुरक्षित रखने के लिए जाल से ढका है, जिससे इसकी सुरक्षा भी होती है और कुएं का पानी आज भी इस्तेमाल लायक है.

दावा है कि इसी कुएं के पानी से 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों ने लाल किला कूच से पहले जमा होकर अंग्रेजों से आखिरी सांस तक जंग की शपथ ली थी.