Jan 22, 2025, 08:46 PM IST
कुतुब मीनार के बंद तहखाने में क्या छिपा है
Kuldeep Panwar
दिल्ली की कुतुब मीनार को आर्किटेक्चर के बेहतरीन नमूनों में गिनते हैं. 73 मीटर ऊंची कुतुब मीनार, दुनिया की सबसे ऊंची ईंट की मीनार है.
कुतुब मीनार का निर्माण 1199 में भारत के पहले मुस्लिम शासक कुतबुद्दीन-ऐबक ने शुरू कराया था, जिसे 1220 में इल्तुतमिश ने पूरा कराया था.
हिंदू संगठनों का दावा है कि ये ग्रहों के अध्ययन वाला विष्णु स्तंभ है, जिसका निर्माण गुप्त वंश के सम्राट विक्रमादित्य ने कराया था.
कुतुब मीनार दिल्ली के फेमस टूरिस्ट प्लेस में से है, जहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है. लेकिन यहां एक दरवाजा कभी नहीं खोला जाता है.
इतिहास से जुड़ी कई किताबों में इस दरवाजे को कुतुब मीनार के तहखाने का रास्ता कहा जाता है. क्या आप इसके बंद रहने का रहस्य जानते हैं.
कहा जाता है कि कुतुब मीनार के नीचे बना यह दरवाजा कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का दरवाजा है, जो भारत की पहली मस्जिद थी.
हालांकि यह कहा जाता है कि यह दरवाजा पहले बंद नहीं रहता था. इसे 4 दिसंबर, 1981 तक पर्यटकों की आवाजाही के लिए खुला रखते थे.
4 दिसंबर, 1981 को कुतुब मीनार के अंदर भगदड़ मच गई थी. उस समय करीब 400 लोग अंदर मौजूद थे, जिनमें से 45 की मौत हो गई थी.
इस घटना के बाद से ही यह दरवाजा हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था. आप अब यह तहखाना कुतुब मीनार पर बाहर से ही देख सकते हैं.
कुतुब मीनार में करीब 379 सीढ़ियां हैं, जो मीनार की चोटी तक जाती हैं, जिनसे मीनार की पांच बॉलकनी में से हर एक पर रास्ता खुलता है.
यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल कुतुब मीनार ज्यामितीय डिजाइनों से सजी है. कॉम्पलेक्स में इस पर 10 मिनट की फिल्म भी दिखाते हैं.
कुतुब मीनार परिसर में महाराजा विक्रमादित्य का लगवाया हुआ एक अनूठी धातु का खंभा भी है, जिस पर 1,600 साल से जंग नहीं लगा है.
इस खंभे को मन्नत खंभा भी कहते हैं. कहते हैं यदि आप उल्टा खड़ा होकर पीछे से खंभे की गोलाई पर हाथ मिला लेते हैं तो मांगी हुई इच्छा पूरी होती है.
कुतुब मीनार में अलाई द्वार भी है. कहते हैं इसे अलाउद्दीन खिलजी ने बनवाया था और यही कुतुब मीनार का प्रवेश द्वार है.
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