Sep 20, 2024, 08:40 PM IST
रावण का जिक्र होते ही लोगों के मन में उसकी नकारात्मक छवि उभरकर सामने आती है, रावण को अहंकारी और अधर्म का प्रतीक माना जाता है.
लेकिन, अधर्मी रावण में अनेकों खूबियां थीं, रावण बहुत बड़ा विद्वान था और उसने वेदों का अध्ययन किया था. रावण को अस्त्र शस्त्र का भी बहुत ज्ञान था.
अस्त्र-शस्त्र, ज्योतिष, वास्तु, विज्ञान, दिव्य और मायावी शक्तियों के अलावा संगीत का भी बड़ा कलाकार था. हनुमान जी भी रावण की कला देखकर प्रभावित हुए थे.
पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण ने स्वंय एक वाद्य यंत्र का निर्माण भी किया था, इससे रावण का संगीत के प्रति प्रेम का अंदाजा लगाया जा सकता है.
संगीत में रावण की अद्भुत रूचि थी और वह वीणा बजाने में निपुण था. कहते हैं रावण जब वीणा पर तान छेड़ते था तो स्वर्ग लोग से देवता भी पृथ्वी पर उतर आते थे.
रावण भगवान शिव को पसन्न करने के लिए वीणा बजाता था. यही वजह है कि रावण के रथ के ध्वज पर भी वीणा का चित्र दिखाई देता है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण ने जिस वाद्य यंत्र का अविष्कार किया था उसका नाम था रावण हत्था, इस वाद्य यंत्र को वायलिन का पूर्वज भी कहा जाता है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.