Feb 3, 2025, 08:56 PM IST

 महाकुंभ में क्यों नहीं जाते अघोरी?

Ritu Singh

क्या आपको पता है कि अघोरी साधु कभी कुंभ या महाकुंभ में स्नान नहीं करते हैं. 

हालांकि, अघोरी साधुओं को लेकर आमजनों के बीच कई तरह की अवधारणाएं हैं और उनमें से हवाहवाई होती हैं. 

 कुंभ में जुटने वाले साधु अक्सर नागा को देखकर लोग उन्हें ही अघोरी समझ लेते हैं और सोचते हैं इन्हें किसी तरह की कोई दीक्षा नहीं लेनी होती है.  

 दरअसल अघोरी साधुओं का कोई अखाड़ा नहीं होता है. लेकिन अघोरी साधु बनने के लिए कठोर परीक्षा देनी पड़ती है,

अघोरी बनने के लिए कम से कम 12 साल का समय लगता है. अघोरी साधुओं को अघोरी बनने के लिए श्मशान में तपस्या करनी पड़ती है. 

अघोरी साधु कभी भी श्मशान से बाहर नहीं आते हैं. ये लोग या तो श्मशान में रहते हैं या फिर एक ऐसी जगह पर रहते हैं, जहां आसपास भी कोई ना आता हो. 

  अघोरी साधु तांत्रिक साधनाओं के लिए जाने जाते हैं. कहते हैं कि उनके पास भी रहस्यमयी शक्तियां होती हैं.

  हालांकि वो तंत्र-मंत्र के माध्यम से लोगों की परेशानियों का हल निकालने के लिए जाने जाते हैं.

आमतौर पर कुंभ मेले में पवित्र जल में स्नान नहीं करते हैं क्योंकि वे मानते हैं कि उनकी अपनी आध्यात्मिक प्रथाएं, जिनमें अक्सर श्मशान घाट में स्नान करना शामिल होता है, शुद्धिकरण के लिए पर्याप्त हैं, 

 और वे कुंभ में होने वाली भारी भीड़ को अपनी एकाकी आध्यात्मिक यात्रा में बाधा डालने वाला मानते हैं; वे अभी भी आध्यात्मिक महत्व के कारण कुंभ मेले में जाते हैं.