May 21, 2024, 09:17 AM IST

प्रभु श्रीराम और हनुमान जी के बीच क्यों हुआ था युद्ध?

Aman Maheshwari

हनुमान जी भगवान श्री राम के सच्चे भक्त माने जाते हैं. हनुमान जी की वजह से ही राम जी के काम सिद्ध हो पाए थे.

हनुमान जी प्रभु श्री राम की आज्ञा के बिना कुछ भी नहीं करते थे. वह उनके परम भक्त थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार राम और हनुमान जी के बीच भी युद्ध हुआ था.

इस युद्ध के समय हनुमान जी राम नाम का कीर्तन करने लगे थे. जिसके बाद राम नाम के आगे राम जी के बाण भी विफल हो गए.

एक बार राजा सुकंत सभी संतों का आशीर्वाद लेने जा रहे थे. तब उन्हें देवर्षि नारद ने विश्‍वामित्र का अभिवादन न करने की सलाह दी.

राजा सुकंत ने ऐसा ही किया जिससे विश्वामित्र जी नाराज हो गए. विश्वामित्र ने इस अपमान के बारे में राम जी को बताया. राम जी ने अपने गुरु विश्वामित्र के चरणों की सौंगध लेकर सुकंत का वध करने का प्रण लिया.

इस बारे में राजा सुकंत को पता चला तो वह नारद जी के पास गए जिन्होंने उन्हें हनुमान जी की शरण में जाने के लिए कहा. राजा सुकंत हनुमान जी के घर गए जहां माता अंजनी बाहर आई और उन्होंने सुकंत को बचाने का वचन दिया.

माता अंजनी के कहने पर हनुमान जी ने श्रीराम के चरणों की सौगंध ली कि वह राजा सुंकत के प्राणों की रक्षा करेंगे. जब हनुमान जी को पता चला कि, श्रीराम ही राजा सुकंत का वध करने वाले हैं तो उन्होंने राम जी से कहा प्रभू उसे मत मारिए.

परंतु राम जी ने कहा कि, मैं अपने गुरु को वचन दे चुका हूं, हनुमान जी ने कहा मैंने राजा सुंकत के प्राणों की रक्षा के लिए आपकी सौगंध ली है.

ऐसे में दोनों ने अपने कर्तव्य का पालन किया. राम जी राजा सुकंत को मारने के लिए गए तो वहां पर हनुमान जी ने राजा सुकंत को राम नाम के घेरे में बैठा रखा था.

राम जी के बाण विफल हो गए और उन्होंने हनुमान जी से कहा कि तुमने इसे अपनी शरण में लिया है तो मुझे इसे माफ करना पड़ेगा लेकिन विश्वामित्र को क्या जबाव देंगे. तब सामने से विश्वामित्र जी आए और हनुमान जी के कहने पर राजा सुकंत ने विश्वामित्र जी को प्रणाम किया.

Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.