Oct 11, 2024, 08:01 PM IST

पांडव कैसे रखते थे व्रत?

Kuldeep Panwar

भारतीय सनातन परंपरा में व्रत को जीवन का अहम हिस्सा और दवा समान बताया गया है. महाभारत काल में भी व्रत रखने की परंपरा थी.

पांचों पांडव भाइयों को भी माता कुंती ने हर त्योहार और अहम दिन पर कठोर उपवास की परंपराओं का पालन करना सिखाया था.

एकादशी के उपवास को बेहद कठिन माना जाता है. खासतौर पर निर्जला एकादशी व्रत को. पांचों पांडव भाई इसका भी पूरा पालन करते थे. 

महाभारत के मुताबिक, पांडव भाई व्रत के दौरान भगवान कृष्ण का ध्यान करते हुए अनुष्ठान करते थे. इस दौरान वे पानी भी नहीं पीते थे. 

महाभारत और अन्य ग्रंथों में दी जानकारी के मुताबिक, पांडव भाई व्रत के बाद खीर खाते थे, जो दूध में गुड़ और चावल उबालकर बनती थी.

भगवद गीता में बताई शशकुली भी पांडव व्रत में खाते थे. यह चावल या जौ में मीठा मिलाकर गोलाकार बनाई जाती थी, जिसे घी में तलते थे.

पांडवों के व्रत भोजन में खीर जैसी कृषर भी होती थी, जो मसले हुए चावल को इलायची-केसर के साथ मिलाकर बनाने के बाद खाई जाती थी.

पांडवों के व्रत भोजन में कई बार समवाय भी अहम हिस्सा होता था. यह घी में तली गई गेहूं के आटे और दूध से बनी मिठाई होती थी.

वनवास के दौरान भी पांडव भाइयों ने अपने व्रत आदि का पूर्ण पालन किया था. वे वन में मिलने वाले फल और सब्जियों से व्रत खोलते थे.

व्रत रखने पर भीम सबसे ज्यादा परेशान होते थे. महर्षि वेदव्यास और भीम के बीच महाभारत में दी गई वार्ता में भी इसका जिक्र मिलता है.

भीम ने व्रत में भूख से व्याकुल होने की परेशानी बताई तो महर्षि व्यास ने उन्हें खास आध्यात्मिक लाभों के लिए व्रत रखने का आदेश दिया था. 

DISCLAIMER: यह पूरी जानकारी सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं व आस्थाओं पर आधारित है. इसकी सत्यता की पुष्टि DNA Hindi नहीं करता है.