Feb 4, 2025, 11:11 AM IST
दुर्योधन को जब मिली कर्ण की मौत की खबर, तो क्या था पहला शब्द?
Smita Mugdha
महाभारत युद्ध के 17वें दिन कर्ण का रथ धरती में धंस गया था और अर्जुन के बाण से उनकी मौत हुई थी.
कर्ण और दुर्योधन की मित्रता बहुत गहरी थी और जब दुर्योधन को कर्ण की मृत्यु का समाचार मिला को स्तब्ध हो गया था.
कर्ण की मौत का समाचार मिलते ही दुर्योधन जार-जार रोने लगा था और अपने दोस्त को याद कर भावुक हो गया.
कर्ण की वीरता और दानवीरता को याद करते हुए दुर्योधन ने फफकते हुए कहा था, 'मेरे मित्र! तुम्हारे बिना अब मेरा क्या होगा.'
कर्ण के लिए विलाप करते हुए दुर्योधन ने कहा था कि अंग प्रदेश के राजा के बिना मैं कैसे जीऊंगा, कैसे युद्ध करूंगा.
दुर्योधन ने कर्ण के पार्थिव शरीर को देख देर तक विलाप किया था और उसके साथ बीते पलों को याद करता रहा.
कर्ण की दानवीरता को याद करते हुए दुर्योधन ने कहा था कि मेरे मित्र से बड़ा दानवीर संसार में कोई नहीं था.
कर्ण ने युद्ध में भले ही कौरवों की ओर से हिस्सा लिया था लेकिन उसकी वीरता से पांडव भाई भी प्रभावित थे.
वीरता के साथ ही कर्ण की दानवीरता की भी दाद दी जाती थी और इसलिए श्रीकृष्ण ने कर्ण का अंतिम संस्कार किया था.
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