May 19, 2025, 02:39 PM IST

 क्यों नीम करौली बाबा रामायण का प्रसंग सुनते ही जंगल भागे थे

Ritu Singh

एक बार कैंची आश्रम परिसर में बाबा का दरबार लगा था और उनके भक्त शिव गोपाल तिवारी से बाबा ने रामायण सुनाने को कहा. तब शिव गोपाल ने पूछा की कहां से पाठ आरम्भ करे तब, बाबा ने कहा-वहाँ से सुनाओ, जहां से हमने विभिषण से कही थी. 

जैसे ही भक्त शिव ने कहा- सुनहु विभिषण प्रभु की रीति, करे सदा सेवक पर प्रीति' बाबा भावावेष में आने लगे और दूसरे भक्त सुधीर मुकर्जी का हाथ अपने हाथ मे ले वहां से उठ कर चल दिए

उनके एक ही हाथ का भार अचानक से बढ़ गया कि बाबा का हाथ थामे मुकर्जी खुद को संभाल नहीं पा रहे थे. शिव मन्दिर के द्वार पर पहुचने पर बाबा अपने दोनो हाथों को भूमि पर टेकते हुये घुटनों और पैर के पंजो के बल बैठ गए पर भक्त का का हाथ नहीं छोड़ा.

देखते ही देखते बाबा की बाबा की आकृति बदलने लगी और उनका मुंह लाल होने लगा और सम्पुर्ण देह में भुरे-भुरे बाल निकलने लगे और इसके बाद बाबा भक्त का हाथ छोड़कर जंगल की ओर भाग गए. 

तब भक्त उन्हें कैंची मे सर्वत्र  खोजते रहे पर उनका कहीं पता नही चला. बाबा का हनुमान रूप देख कर मुकर्जी दादा घंटों अचेत रहे.

 काफी समय बाद जब बाबा आश्रम लौट कर आए तो लोगों ने उनके सामने प्रश्नों की झड़ी लगा दी और उनके हनुमान रूप के बारे में जानने को उत्सुक रहे पर बाबा मौन रहे.