Apr 12, 2024, 03:31 PM IST

दुर्योधन ने क्यों छीन लिए थे भीष्म से महाभारत में वो 5 तीर'?

Kuldeep Panwar

महाभारत के युद्ध में पांडवों ने कौरवों को हराया था, लेकिन यदि दुर्योधन एक गलती नहीं करता तो युद्ध का रिजल्ट उल्टा ही हो सकता था.

प्रचलित मान्यता के मुताबिक, कौरवों की सेना को हारता देखकर दुर्योधन ने भीष्म पितामह पर पूरी शक्ति से युद्ध नहीं लड़ने का आरोप लगाया.

दुर्योधन ने भीष्म पितामह से कहा कि आप पांडवों से प्रेम करते हैं और उन्हें ही जिताना चाहते हैं. ये सुनकर भीष्म पितामह बेहद नाराज हो गए.

भीष्म पितामह ने मंत्रों की शक्ति वाले पांच सोने के तीर लिए और दुर्योधन को कहा कि कल वे इन तीरों से पांडवों का अंत कर देंगे.

दुर्योधन ने भीष्म की बातों को मजाक माना और भीष्म से तीर लेकर कहा कि सुबह युद्ध शुरू होने तक वो तीरों को अपने पास ही रखेगा.

भीष्म के पांडवों को मारने वाले तीर तैयार करने और वे दुर्योधन के पास होने की जानकारी भगवान कृष्ण को मिली तो वे चिंता में पड़ गए.

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बुलाकर दुर्योधन के पास जाने और गंधर्वों से उसकी जान बचाने के बदले कुछ भी मांगने का उसका वादा याद दिलाने को कहा.

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा कि तुम दुर्योधन से कहना, तब मैंने तुमसे कुछ नहीं मांगा था. क्या तुम आज मेरी मांगी हुई चीज देकर वादा निभाओगे? 

अर्जुन ने दुर्योधन के शिविर में जाकर उसे वादा याद दिलाया तो दुर्योधन ने थोड़ी देर सोचने के बाद उसे अपनी मनचाही चीज मांगने को कहा. 

दुर्योधन के वचनबद्ध होने पर अर्जुन ने उससे कहा कि मुझे वे पांच तीर चाहिए, जो भीष्म पितामह के तैयार करने पर उसने ले लिए हैं.

दुर्योधन जानता था कि तीर देने पर वह पांडवों को मारने और युद्ध जीतने का मौका गंवा देगा, फिर भी उसने अर्जुन को पांचों तीर दे दिए.

अर्जुन के तीर ले लेने पर युद्ध का नजारा ही बदल गया. पांडवों ने कौरव सेना के सभी दिग्गज योद्धाओं को हराते हुए 18वें दिन युद्ध जीत लिया.