Jan 25, 2025, 08:05 AM IST

 क्या महिलाएं भी अघोरी होती हैं? 

Ritu Singh

घोर पंथ एक बेहद रहस्यमयी दुनिया है. इसको जितना जानने की कोशिश करें उतनी ही जिज्ञासा बढ़ने लगती है.

अघोर पंथ में गुरु का विशेष महत्व है, बिना गुरु के कोई भी शिष्य अघोरी नहीं बन सकता, ना ही वह किसी तरह के मंत्र की सिद्धि कर सकता है.

अघोरी साधु के बारे में आप तो सुने ही होंगे लेकिन क्या आपने कभी जाना है कि महिलाएं अघोरी होती हैं या नहीं?

तो चलिए जान लें महिला अघोरी भी होती हैं. अघोर पंथ में पुरुष और महिलाओं दोनों की दीक्षा होती है, परंतु इन दोनों की प्रक्रिया एक दूसरे से बहुत अलग होती है.

किसी भी महिला को अघोरी बनने के लिए 10 से 15 साल तक कठिन परिश्रम करना होता है. उन्हें अपने गुरु को ये भरोसा दिलाना होता है कि वह साधु बनने के लायक है.

पूरे तरीके से अपने घर परिवार को छोड़कर अघोर पंथ में शामिल होना पड़ता है. अघोरी बनने से पहले जीवित अवस्था में ही महिलाओं को अपना पिंडदान करना होता है.

फिर महिलाओं को दीक्षा दी जाती है और अघोर शक्ति के लिए इनको भी कठोर तप करने होते हैं.

महिला अघोरी उस श्मशान में नहीं रहती जहां पुरुष अघोरी रहते हैं.

आमतौर पर महिलाओं का श्मशान या कब्रिस्तान जाना मना है, लेकिन ये महिला अघोरी श्मशान में ही शिव साधना करती हैं.

ये महिला अघोरी गले में नरमुंडों और रुद्राक्ष की माला पहनती हैं. साथ ही काले रंग के कपड़े पहनती हैं और सिर पर भी काले रंग की पगड़ी और एक विशेष अंगूठी धारण करती हैं.