Apr 24, 2025, 06:53 PM IST
भगवान राम और रावण के बीच हुए युद्ध की जड़ शूर्पणखा को माना जाता है, जिसके अपमान का बदला लेने के लिए रावण ने माता सीता का हरण किया था.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण की मृत्यु के बाद शूर्पणखा बदले की आग में जल रही थी, जब उसे पता चला की भगवान राम नें माता सीता को त्याग दिया है..
तो वह माता सीता से मिलने जंगल पहुंची, उस वक्त शूर्पणखा ने सोचा कि यह समय सीता के जले पर नमक छिड़कने का है और वह वहां पहुंच गई.
शूर्पणखा ने देवी सीता से कहा राम ने कभी उसका तिरस्कार किया, आज सीता के साथ भी वही किया. उसने कहा दशरथ के पुत्रों की वजह से उसे कितना कष्ट झेलना पड़ा..
अब सीता भी राम की वजह से कष्ट में हैं, हालांकि देवी सीता ने शांत भाव से शूर्पणखा की बातें सुनी और मुस्कुराते हुए हर बात का जवाब दिया...
माता सीता ने कहा कि हर व्यक्ति के कर्मों का परिणाम उसे जीवन के किसी ना किसी मोड़ पर भुगतना ही पड़ता है और रावण को भी उसके कर्मों का ही फल मिला है.
शूर्पणखा को रावण के साथ अपने कृत्य-राक्षसी प्रवृत्तियों के कारण पछतावा हो रहा था, कहा जाता है कि गलत कृत्यों से उबारने के लिए मार्गदर्शन लेने के लिए भी वह सीता जी से मिलने गई थी.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है, जो लोक कथाओं और मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टी नहीं करता है)