Apr 19, 2025, 07:20 PM IST
आचार्य चाणक्य के अनुसार, स्त्री हो या पुरुष, हर किसी को मेहनत के अनुसार भोजन करना चाहिए.
आचार्य चाणक्य ने बताया कि किस तरह का खानपान रखकर हम बुढ़ापे को लंबे समय तक दूर रख सकते हैं.
इसके लिए आचार्य चाणक्य ने आटा, दूध और शाकाहार के साथ ही मांसाहार के बारे में जिक्र किया है.
खानपान का यह सूत्र नीति ग्रंथ में लिखा है, श्लोक- अन्नाद्दशगुणं पिष्टं पिष्टाद्दशगुणं पय:. पयसोथऽष्टगुणं मांसं मांसाद्दशगुणं घृतम्.
जिसका अर्थ है अन्न से दस गुना ज्यादा ऊर्जा उसके आटे में होती है, आटे से दस गुना अधिक ऊर्जा होती है दूध में...
दूध से आठ गुना अधिक बल मांस में होता है और मांसाहार से भी दस गुना अधिक बल होता है घी में.
हालांकि मांसाहार को प्रकृति के विरुद्ध माना गया है, चाणक्य ने मांसाहार से घी को अधिक बल देने वाला बताया है.
कहते हैं नियमित रूप से शुद्ध घी का सेवन किया जाए तो व्यक्ति लंबे समय तक बुढ़ापे के रोगों से बचे रह सकते हैं.