मुस्लिम शाही परिवारों में महिलाओं को बहुत तवज्जो नहीं मिलती थी. फिर भी दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाली पहली महिला शासक मुस्लिम ही थी.
हम बात कर रहे हैं रजिया सुल्तान की, जिन पर बॉलीवुड मूवी भी बन चुकी है. रजिया दिल्ली ही नहीं भारत की पहली मुस्लिम महिला शासक थी.
रजिया सुल्तान दिल्ली में मुस्लिम राज शुरू करने वाले गुलाम वंश की तीसरी शासक थीं. वे कुतुबद्दीन ऐबक की नाती और इल्तुतमिश की बेटी थीं.
1205 ईस्वी में जन्मी रजिया को सुल्तान इल्तुतमिश ने लड़कों की तरह ही पाला था, जिससे वे 13 साल की उम्र में कुशल तीरंदाज बन गई थीं.
रजिया कुशल घुड़सवार भी थी. वे अपने पिता के साथ सैन्य अभियानों में जाती थी. इल्तुतमिश ने रजिया को ही उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था.
30 अप्रैल, 1936 को इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद सरदारों ने महिला को शासन नहीं देकर उनके बड़े बेटे रुकनुद्दीन फिरोज को शासक बना दिया.
रुकनुद्दीन के अत्याचारों के कारण नाराज जनता ने 7 महीने बाद ही रजिया का साथ देकर उसे गद्दी से हटा दिया. नवंबर, 1236 को वह दिल्ली की सु्ल्तान बनी.
रजिया बिना पर्दे के खुलेआम दरबार में बैठने लगी, जिससे नाराज होकर वजीर निजाम-उल-मुल्क के नेतृत्व में रूढ़िवादी सरदारों ने बगावत कर दी.
रजिया ने अपने अफ्रीकी गुलाम जमालुद्दीन याकूत से शादी करने की घोषणा कर दी, जिस पर उनके खिलाफ बगावत और ज्यादा बढ़ गई.
रजिया से प्यार करने वाले बठिंडा के गवर्नर मलिक इख्तियारउद्दीन अल्तूनिया ने भी उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया और याकूत की हत्या कर दी.
रजिया बठिंडा आई तो दिल्ली में तख्तापलट कर उसके रिश्तेदार बहराम को सुल्तान घोषित कर दिया. तब रजिया ने अल्तूनिया से शादी कर ली.
रजिया और अल्तूनिया की फौज का 14 अक्टूबर, 1240 को बहराम की फौज से युद्ध हुआ, जिसमें रजिया और अल्तूनिया की मौत हो गई.
रजिया ने महज 4 साल राज किया, लेकिन उन्होंने इतने समय में भी सड़क निर्माण, कुआं खुदाई जैसे इतने काम किए थे कि जनता उनके मरने के बाद भी उन्हें याद करती थी.