Apr 29, 2024, 01:38 AM IST

महाराणा प्रताप ही नहीं इस हिंदू राजा को भी कभी नहीं हरा पाए मुगल

Kuldeep Panwar

मुगल सल्तनत के दौर में तमाम राजाओं को दिल्ली के तख्त की आधीनता स्वीकार करनी पड़ी थी, लेकिन कुछ राजाओं ने उन्हें चुनौती भी दी थी.

मुगलों को चुनौती देने वाले महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी के नाम तो आपको याद होंगे पर एक ऐसा राजा भी था, जिसे मुगल कभी हरा नहीं पाए.

महज 5 घुड़सवारों और 25 तलवारबाजों की सेना से बुंदेला साम्राज्य बनाने वाले राजा छत्रसाल की वीरता के किस्से आज भी बुंदेलखंड में गाए जाते हैं.

4 मई, 1649 को जन्मे बुंदेला राजपूत छत्रसाल के पिता चंपत राय की हत्या मुगल बादशाह ने तब करा दी थी, जब छत्रसाल महज 12 साल के थे.

छत्रसाल मामा के यहां रहकर हथियारों की ट्रेनिंग ले रहे थे. उन्होंने पहले राजा जय सिंह की सेना में भर्ती होकर मुगल सेना की युद्धशैली सीखी.

मुगल युद्धकला सीखने के बाद छत्रसाल छत्रपति शिवाजी से मिले. शिवाजी ने उन्हें 'भवानी' तलवार देकर अपने इलाके में ही संघर्ष करने को कहा.

भवानी तलवार छत्रसाल के लिए भाग्यशाली रही और जिंदगी भर उनके साथ रही. छत्रसाल ने 1671 में महज 22 साल की उम्र में मुगलों से युद्ध छेड़ दिया.

छत्रसाल ने जब विशाल मुगल साम्राज्य को चुनौती दी, तब उनके पास धन-दौलत व सेना नहीं थी. उनके पास 5 घुड़सवार और 25 तलवारबाज ही मौजूद थे.

मुट्ठीभर सैनिकों के साथ युद्ध का बिगुल फूंकने वाले छत्रसाल ने फिर भी मुगलों को हर जगह मात दी और अपना साम्राज्य बढ़ाते चले गए.

महज 10 साल में पूर्व में चित्रकूट, पश्चिम में ग्वालियर, उत्तर में कालपी और दक्षिण में दमोह तक छत्रसाल का बुंदेला साम्राज्य फैल चुका था.

छत्रसाल ने बुंदेलखंड में 56 साल तक साम्राज्य किया. उन्होंने इस दौरान 52 युद्ध लड़े, जिनमें महज एक बार 1728 में वे हार के करीब पहुंचे.

1728 में मुगल सरदार मुहम्मद खान बंगश ने 79 साल के हो चुके राजा छत्रसाल के राज्य पर हमला किया. तब छत्रसाल ने मराठा पेशवा बाजीराव से मदद मांगी.

पेशवा बाजीराव बिजली की गति से पुणे से बुंदेलखंड आ पहुंचे और मुगलों पर हमला बोलकर छत्रसाल को पहली बार युद्ध हारने से बचा लिया.

बुंदेलखंड को मुगलों के लिए अबूझ चुनौती बनाए रखने के बाद 20 दिसंबर, 1731 को 82 साल की उम्र में छत्रसाल ने दुनिया से विदा ली.

छत्रसाल की वीरता पर कवि भूषण ने लिखा था, 'छत्ता तोरे राज में धक-धक धरती होय, जित-जित घोड़ा मुख करे तित-तित फत्ते होय.'

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