May 7, 2024, 08:10 PM IST

राजनीति के चक्कर में इन 4 फिल्मों पर पड़ी मार, कोई हुई बैन तो किसी के जलाए गए प्रिंट

Utkarsha Srivastava

संजीव कुमार और सुचित्रा सेन स्टारर फिल्म 'आंधी' पर आरोप लगा था कि ये फिल्म इंदिरा गांधी की जिंदगी से प्रेरित है और प्रधानमंत्री की छवि धूमिल करने वाले सीन्स दिखाती है.

इस फिल्म को रिलीज होते ही बैन कर दिया गया था लेकिन इस बैन ने लोगों की एक्साइटमेंट और बढ़ा दी थी. साल 1977 में जब कांग्रेस हारी तो जनता पार्टी सरकार ने 'आंधी' को दोबारा रिलीज किया था.

'किस्सा कुर्सी का' की कहानी को इमरजेंसी पर आधारित बताया गया था. 1974 में बनी इस फिल्म पर 1975 में बैन लग गया था इस फिल्म के सारे प्रिंट भी सरकार ने जब्त कर लिए थे.

1977 में जनता पार्टी की सरकार आने के बाद संजय गांधी और वीसी शुक्ला पर 'किस्सा कुर्सी' से जुड़े प्रिंट जला देने के आरोप लगे थे. इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने संजय गांधी एक महीने के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया था.

1978 में आई 'नसबंदी' के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. कथित तौर पर आपातकाल की ज्यादतियों को दिखाने वाली इस फिल्म पर भी इंदिरा गांधी सरकार को खराब तरीके से दिखाने का आरोप लगा. 

प्रधानमंत्री मोदी की जिंदगी से प्रेरित फिल्म 'पीएम नरेंद्र मोदी' को 2019 लोकसभा चुनाव से पहले रिलीज किया जाना था लेकिन इस फिल्म पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि ये वोटर्स को प्रभावित करने के लिए बीजेपी की चाल है.

जिसकी वजह से फिल्म 'पीएम नरेंद्र मोदी' को आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग ने इसकी रिलीज पर बैन लगा दिया था. ओमंग कुमार के डायरेक्शन में बनी ये फिल्म लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद 24 मई 2019 को फिल्म रिलीज हुई थी.