राष्ट्रपति भवन बनने से पहले उस जमीन का मालिक कौन था?
Jaya Pandey
नई दिल्ली में राजपथ के पश्चिमी भाग में स्थित राष्ट्रपति भवन राष्ट्रपति का निवास स्थान है. पहले यह भव्य इमारत ब्रिटिश वायसराय और अधिकारियों के आवास के लिए प्रस्तावित था.
राष्ट्रपति भवन न केवल वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति है बल्कि भारतीय राजनीतिक शक्ति का प्रतीक भी है. इसका निर्माण, इतिहास और डिजाइन भारतीय परंपरा और औपनिवेशिक संस्कृति के संघर्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं.
1911 से पहले रायसीना हिल के आस-पास का इलाका जिस पर आज राष्ट्रपति भवन बना हुआ है, आबाद नहीं था. वहां छोटे-छोटे गांव थे जहां लगभग 300 किसान परिवार रहते थे.
राष्ट्रपति भवन की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक रायसीना हिल पर ब्रिटिश कब्जे से पहले राष्ट्रपति भवन वाली जगह जयपुर के महाराजा के स्वामित्व में थी.
भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को बनाने के बाद जयपुर के महाराजा सवाई माधो सिंह ने भारत को एक महान स्मारक जयपुर स्तंभ दिया, जो आज भी राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में खड़ा है.
भारत को 1947 में आजादी मिलने के बाद ब्रिटिश प्रभुत्व की अवधि समाप्त हो गई. फिर जिस भवन को जो कभी वायसराय हाउस कहा जाता था उसका नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन कर दिया गया.
राष्ट्रपति भवन के परिसर में 340 कमरे और एक विशाल दरबार हॉल है, जिसका उपयोग अहम औपचारिक आयोजनों के लिए किया जाता है. यहां शानदार उद्यान भी हैं जो पारंपरिक मुगल शैली के रूपांकनों को दोहराते हैं.