May 2, 2025, 11:39 PM IST

परमाणु बम से भी नहीं मरते ये 7 'अमर' जीव

Kuldeep Panwar

परमाणु बम विस्फोट जिस इलाके में होता है, माना जाता है कि वहां दूर-दूर तक हर जीव मर जाता है, लेकिन यह सच बात नहीं है.

हम आपको 7 ऐसे जीवों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो परमाणु बम के रेडिएशन के सामने भी 'अमर' हैं. इन जीवों पर यह असर नहीं करता है.

फूलों का परागण करने वाले ब्रैकोनिडे ततैया (Braconidae Wasps) पर हिरोशिमा जैसे परमाणु बम से दोगुना रेडिएशन भी असर नहीं करता है.

ये ततैये इंसान की तुलना में 300 गुना ज्यादा रेडिएशन सहते हैं, जो 180,000 रेड्स होता है, जबकि हिरोशिमा का परमाणु बम 10,000 रेड्स का था.

NASA ने हाल ही में पानी के भालू यानी टार्डिग्रेड (Tardigrade) को स्पेस वैक्यूम में रखा था, जो हवा-पानी के बिना भी सही सलामत लौटा है.

टार्डिग्रेड 10 साल तक मृत रहने के बाद दोबारा जिंदा किए जा सकते हैं. इस कारण इनके शरीर पर परमाणु बम रेडिएशन का असर नहीं होता है.

जिस कॉकरोच को हम मामूली कीटनाशक से मार देते हैं, उसमें भी 10,000 रेड्स के रेडिएशन वाले परमाणु बम से बचने की क्षमता रखते हैं.

हिरोशिमा में परमाणु बम गिरने की जगह से 1,000 फीट दूर कॉकरोच स्वस्थ मिले थे. ये बिना खाना-पानी के भी एक महीने जीवित रह सकते हैं.

जो छोटी सी फल मक्खी गर्मी में आपको बेहद परेशान कर देती है, वो 64,000 रेड्स के परमाणु बम रेडिएशन में भी जिंदा रह सकती हैं.

करीब 30 दिन का जीवन चक्र रखने वाली ये फल मक्खियां इस दौरान परमाणु बम रेडिएशन की चपेट में आने के बावजूद पूरे 30 दिन जीती हैं.

बिच्छू के बारे में भी माना जाता है कि वे हाई लेवल रेडिएशन को झेल सकते हैं. हालांकि इनकी क्षमता को लेकर ठोस स्टडी नहीं की गई है.

हाईलेवल UV रेडिएशन रोजाना धूप में झेलने वाले बिच्छू को बर्फ में पूरी तरह जमा सकते हैं और कई दिन बाद दोबारा उन्हें जिंदा कर सकते हैं. 

छोटी सी मम्मीचोग मछली (Mummichog Fish) स्पेस में भेजी जाने वाली इकलौती मछलियां हैं. ये हाई लेवल रेडिएशन को सहन कर सकती हैं.

समुद्र के सबसे ज्यादा रासायनिक प्रदूषण वाले पानी में भी जिंदा रहने वाली मम्मीचोग मछली जीन्स की अंदरूनी संरचना को उसके अनुरूप ढाल सकती हैं.

धरती का सबसे ज्यादा एंटी-रेडिएशन जीव डाइनोकोकस रेडिडुरंस (Deinococcus Radidurans) है, जो अपने DNA की तत्काल रिपेयरिंग कर लेता है.

डाइनकोकस रेडिडुरंस को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी धरती के सबसे ज्यादा रेडिएशन झेलने में सक्षम जीव के तौर पर दर्ज किया गया है.