वो जनजाति जिसका बच्चा भी निकाल लेता है King Cobra का जहर
Jaya Pandey
आज हम आपको देश की उस जनजाति से मिलवाएंगे जो सांपों के जहर निकालने की कला में माहिर होते हैं.
जहां ज्यादातर लोगों को सांप देखते ही घबराहट होने लगती है वहीं इरुला जनजाति के लिए सांप आजीविका के स्रोत हैं.
दुनिया में पाए जाने वाले 70% सांप जहरीले नहीं होते बाकी 30% में सांपों की सबसे खतरनाक प्रजातियां शामिल होती हैं.
इरुला जनजाति सांपों को आसानी से संभाल लेती है. इस जनजाति के पुरुष, महिलाएं और यहां तक की बच्चे भी छोटी उम्र से सांपों को पहचानने और पकड़ने में माहिर होते हैं.
इरुला जनजाति के लोगों को छोटी उम्र से ही सांपों के जहर निकालने का प्रशिक्षण दिया जाता है. दुनियाभर में सांपों को पकड़ने के लिए इस समुदाय की मांग सबसे ज्यादा होती है.
ज़हरीले सांप के काटने से लकवा, अंग विफलता और कुछ ही घंटों में मौत हो सकती है इसलिए इरुला जनजाति का काम एंटी-वेनम के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है.
यह जनजाति भारत में चार सबसे खतरनाक सांप प्रजातियों नागराज, क्रेट, रसेल वाइपर, भारतीय सॉ-स्केल्ड वाइपर से जहर निकालने में माहिर हैं.
सांपों के इकट्ठा किए गए जहर को यह जनजाति दवा कंपनियों को बेच देती है जो इससे एंटी-वेनम इंजेक्शन तैयार करते हैं.