भारत में इन 7 कोर्स को सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स करते हैं ड्रॉप
Jaya Pandey
आज हम आपको देश की उन 7 सबसे कठिन डिग्रियों की जानकारी देने जा रहे हैं जहां से सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स ड्रॉपआउट होते हैं.
कठिन पाठ्यक्रम और हाई स्ट्रेस वातावरण के कारण सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स पढ़ाई छोड़ते हैं. इस कोर्स को ड्रॉपआउट करने की दर 40 से 50 फीसदी है.
डॉक्टर बनने का रास्ता काफी चुनौतीपूर्ण है और इसके लिए काफी धैर्य की जरूरत होती है. मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़ने का दर 10 से 15 फीसदी है.
एडवांस्ड मैथमैटिक्स की डिग्री पाने के लिए स्टूडेंट को काफी जटिलताओं से जूझना पड़ता है जिससे कई बार वे हतोत्साहित भी हो जाते हैं. इस कोर्स में ड्रॉपआउट दर 30 से 40 फीसदी है.
फिजिक्स की पढ़ाई के लिए मुश्किल सिद्धांतों की मजबूत समझ और गणितीय कौशल की जरूरत होती है. यहां ड्रॉपआउट दर 30 से 40 फीसदी है.
आर्किटेक्चर के स्टूडेंट्स को लिए तंग समयसीमा और जटिल डिजाइनों का तनाव बर्नआउट की वजह बन जाता है जिसकी वजह से यहां ड्रॉपआउट दर 25 से 30 फीसदी है.
चार्टेड अकाउंटेंसी के स्टूडेंट को फाइनेंशियल अकाउंटिंग टैक्सेशन, बिजनेस लॉ और ऑडिटिंग जैसे कठिन एग्जाम देने पड़ते हैं. इसकी वजह से 50 से 60 फीसदी स्टूडेंटस बिना डिग्री पूरा किए ही ड्रॉपआउट हो जाते हैं.
कानून की डिग्री में कठिन कानूनी सिद्धांतों का अध्ययन और समझ शामिल है. साथ ही स्टूडेंट्स के पास बढ़िया कम्युनिकेशन स्किल भी होना चाहिए. 20 से 30 फीसदी स्टूडेंट्स इस कोर्स से भी ड्रॉपआउट हो जाते हैं.