रतन टाटा की बताई ये 7 किताबें हर किसी को पढ़नी चाहिए
Jaya Pandey
रतन टाटा ने न सिर्फ टाटा ग्रुप को वैश्विक मंच पर स्थापित किया बल्कि समाज से जुड़े कामों से नाम भी कमाया. वह देश के चहेते बिजनेसमैन में से एक थे.
आज हम आपको उनकी बताई 7 किताबों के बारे में बताएंगे जिसे हर इंसान को अपने जीवन में एक बार जरूर पढ़ना चाहिए.
'द आर्ट ऑफ रेसिंग इन द रेन' को गर्थ स्टीन ने लिखा है जिसमें एक बुद्धिमान और दार्शनिक कुत्ते की कहानी है.
'द टाटाज' को गिरीश कुबेर ने लिखा है जिसमें टाटा परिवार की जीवनी है कि कैसे इस परिवार ने न सिर्फ औद्योगिक साम्राज्य बनाया बल्कि भारत को राष्ट्र के रूप में आकार देने में भी अहम भूमिका निभाई.
आई केम अपॉन अ लाइटहाउस को रतन टाटा के युवा दोस्त शांतनु नायडू ने लिखा है. इसमें उन्होंने बताया है कि कैसे सामान्य कर्मचारी से वह रतन टाटा के करीबी बने.
गेटिंग इंडिया बैक ऑन ट्रैक को बिबेक देबरॉय ने लिखा है. इसमें निबंधों का संग्रह है जो भारत की चुनौतियों और प्रगति के लिए जरूरी कदमों पर नजर डालती है.
द विट एंड विजडम नाम की इस किताब को खुद रतन टाटा ने लिखा है जिसमें उनकी विचार प्रक्रिया, नेतृत्व शैली और जीवन जीने के तरीके की झलक मिलती है.
द क्रिएशन ऑफ वेल्थ नाम की इस किताब को आरएम लाला ने लिखा है जो टाटा ग्रुप के इतिहास के बारे में जानने के लिए बेहतरीन किताब है.
फ्रॉम स्टील टू सेलुलर को रतन टाटा ने लिखा है. इसमें टाटा ग्रुप की इस्पात, ऑटोमोबाइल से लेकर संचार के क्षेत्र में पंख फैलाने तक की यात्रा का वर्णन है.