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दिवाली के समय क्यों पकड़े जाते हैं उल्लू, क्या है इसके पीछे का रहस्य?

दिवाली रोशनी का त्योहार है. लक्ष्मी माता की पूजा कर लोग प्रसन्नता से त्योहार मनाते है लेकिन इस खुशी के पीछे एक काला सच भी छुपा है. जिसे बहुत कम लोग जानते हैं. क्या आपको पता है कि दिवाली के आसपास उल्लुओं की तस्करी बढ़ जाती है.

सुमित तिवारी | Oct 15, 2025, 10:18 PM IST

1.तंत्र-मंत्र 

तंत्र-मंत्र 
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अंधविश्वास, तंत्र-मंत्र और धन की लालसा के चलते उल्लुओं की तस्करी तेज हो जाती है, खासकर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बंगाल जैसे इलाकों में उल्लुओं की तस्करी सबसे तेज हो जाती है.
 

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2.बेजुवान पंक्षियों को पकड़कर 

बेजुवान पंक्षियों को पकड़कर 
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इस बेजुवान पंक्षियों को पकड़कर अच्छी कीमत पर काले बाजार में बेचा जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन उल्लू दिख जाए तो घर में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है. 

3.काला जादू

काला जादू
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वही दूसरी तरफ अंधविश्वास और काले जादू में विश्वास रखने वाले लोगों का मानना है कि दिवाली वाले दिन उल्लू की बलि देने से पैसो की कमी नहीं होती व शक्तियों को बस में किया जा  सकता है. 
 

4.आंखों में सम्मोहन की ताकत

आंखों में सम्मोहन की ताकत
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भारत के कई हिस्सों में माना जाता है कि इसकी आंखों में सम्मोहन की ताकत होती है, चोंच से दुश्मन को हराया जा सकता है और पैर को तिजोरी में रखने से धन आता है. 

5.आंखों में सम्मोहन की ताकत

आंखों में सम्मोहन की ताकत
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दिवाली से करीब एक महीना पहले ही उल्लू पकड़े जाने लगते हैं. इन पक्षियों को अंधेरे कमरों में रखा जाता है, उन्हें खास तंत्र विधियों से तैयार किया जाता है, मांस और शराब दी जाती है, और फिर दिवाली की रात को उनकी बलि दी जाती है.

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