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अब इंसानों का खून नहीं पीएंगे मच्छर, साइंटिस्ट ने उनके लिए तैयार की खास डायट

साइंटिस्ट ने मच्छरों के लिए खास डायट तैयार की है. इससे अब मच्छर इंसानों के खून पर निर्भर नहीं रहे.

अब इंसानों का खून नहीं पीएंगे मच्छर, साइंटिस्ट ने उनके लिए तैयार की खास डायट
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डीएनए हिंदी: मच्छरों से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए रिसर्च करने वाले देश के सबसे बड़े संस्थान ने मच्छरों के लिए डायट तैयार कर ली है. कई सालों की रिसर्च के बाद वैज्ञानिक डॉक्टर निशा मैथ्यू और उनकी टीम ने मच्छरों के लिए एक पोषक डाइट तैयार कर ली है. पुडुचेरी में स्थित vector control research centre की तैयार की गई इस डाइट के पेटेंट को मंजूरी भी मिल गई है.

दरअसल मादा मच्छर को पनपने के लिए और अंडे देने के लिए यह जरूरी है कि उसे इंसान का खून मिलता रहे इसके लिए संस्थान को ब्लड बैंक की मदद की जरूरत पड़ती थी और कई बार मच्छरों के लिए ब्लड का इंतजाम करना मुश्किल हो जाता था. ब्लड बैंक भी ऐसे पैकेट्स ही संस्थान को देता था जो या तो एक्सपायर होने वाले हो या फिर किसी और वजह से वह इंसान के इस्तेमाल के लायक ना रहे. इस समस्या का हल ढूंढने के लिए संस्थान ने मच्छरों के लिए आर्टिफिशियल डायट बनाने पर काम करना शुरू किया. कई सालों तक इस लैब में 18 अलग-अलग डायट तैयार की गई जिनमें से चार डायट ऐसी थी जिन्हें मच्छरों ने खाना शुरू कर दिया और उनकी सेहत और प्रजनन क्षमता भी ठीक बनी रही.

Mosquito

 लैब में क्या/कैसे खाता है मच्छर ?

आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि लैब में बनाई जा रही इस डायट में मल्टीविटामिन, कार्बोहाइड्रेट और कोलेस्ट्रॉल जैसे जरूरी पोषक तत्व मौजूद हैं. इस विशेष डायट को मच्छरों को खिलाने के लिए एक खाल फीडर भी बनाया गया है. इस फीडर में एक मेंब्रेन यानी जाली लगी है जिसके जरिए मच्छर इस पाउडर नुमा डाइट को खा सकता है. खास बात यह है कि पहले फीडर विदेश से मंगाया जाता था जिसकी कीमत ₹50,000 तक आती थी लेकिन पुडुचेरी के इसी संस्थान में फीडर भी बना लिया गया जिसकी कीमत केवल ₹1000 पड़ती है. मच्छर इस डाइट को आराम से खा पाए इसके लिए फीडर के तापमान को इंसान के शरीर के तापमान की तरह 36 डिग्री सेंटीग्रेड पर ही रखा जाता है. 

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पुडुचेरी के वेक्टर कंट्रोल रिसर्च सेंटर में इन मच्छरों पर यह प्रयोग किया जा रहा है कि क्या इन मच्छरों की ब्रीडिंग बदलकर मच्छरों को ही डेंगू के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं मच्छरों से होने वाली और भी दूसरी बीमारियों पर लगातार रिसर्च की जा रही है इसके लिए संस्थान देश के हर राज्य से मच्छर इकट्ठे करके इस सेंटर पर लाता है. संस्थान के निदेशक डॉ अश्विनी कुमार के मुताबिक जल्द ही संस्थान की रिसर्च के जरिए देश को डेंगू का इलाज भी मिल सकता है लेकिन इसके लिए मच्छरों को पाल पोस कर सेहतमंद रखना जरूरी है.

रिपोर्ट - पूजा मक्कड़

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