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Infosys में 700 कर्मचारियों की छंटनी पर HR हेड ने तोड़ी चुप्पी, जानिए क्या है कंपनी का रुख?

इंफोसिस पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. ताजा विवाद बड़े पैमाने पर एक साथ कंपनी से कई सारे कर्मचारियों को निकालने को लेकर हुआ है. अब इस पूरे मामले पर कंपनी के एचआर हेड ने सफाई दी है.

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भारत की दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys) इन दिनों श्रम कानूनों (Labor Laws) के कथित उल्लंघन को लेकर विवादों में घिर गई है. कंपनी के मुख्य मानव संसाधन अधिकारी (CHRO) शाजी मैथ्यू ने पुष्टि की है कि श्रम विभाग इस मामले की जांच कर रहा है और इंफोसिस अधिकारियों से लगातार संपर्क में है. इंफोसिस के इस विवाद ने भारतीय आईटी सेक्टर में एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है. क्या यह नीति कंपनियों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक है, या फिर यह श्रम कानूनों का उल्लंघन है?

श्रम कानूनों के उल्लंघन के आरोप
श्रम विभाग द्वारा की जा रही इस जांच की मुख्य वजह कंपनी में कर्मचारियों की कार्य स्थितियों और वेतन नीतियों को लेकर उठ रहे सवाल हैं. हाल ही में खबर आई थी कि इंफोसिस ने अपने मैसूरु कैंपस में लगभग 700 ट्रेनी (trainees) को आंतरिक आकलन (internal assessment) में असफल होने के कारण नौकरी से निकाल दिया है. इस फैसले की वजह से कर्मचारियों, यूनियनों और समाज में भारी नाराजगी देखी जा रही है. 

इंफोसिस का बचाव
इंफोसिस का कहना है कि यह नीति नई नहीं है, बल्कि पिछले दो दशकों से चली आ रही है. कंपनी के अनुसार, सभी नए कर्मचारियों को मैसूरु कैंपस में गहन प्रशिक्षण दिया जाता है और तीन आंतरिक परीक्षाओं में पास होना जरूरी होता है.यदि कोई ट्रेनी तीन बार फेल होता है, तो उसे कंपनी से बाहर कर दिया जाता है. 

शाजी मैथ्यू ने इस बारे में सफाई देते हुए कहा, 'हम पूरी तरह से श्रम विभाग के साथ सहयोग कर रहे हैं और सभी आवश्यक जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं. हमारी प्राथमिकता हमेशा कर्मचारियों की भलाई रही है और हम कानूनी मानकों का पूरा पालन करते हैं. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस बार आकलन में असफल होने की दर थोड़ी अधिक रही, लेकिन यह कहना गलत होगा कि परीक्षाओं को जानबूझकर कठिन बनाया गया था.

श्रमिक संगठन NITES का विरोध
इंफोसिस के इस कदम की Nascent Information Technology Employees Senate (NITES) नामक स्वतंत्र आईटी कर्मचारी संघ ने कड़ी आलोचना की है. NITES का आरोप है कि कंपनी ने निष्कासन प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा कर्मियों का इस्तेमाल किया, जिससे कर्मचारियों में डर का माहौल बनाया गया. संगठन का कहना है कि यह अनैतिक व्यवहार (Unethical Practices) है और श्रम कानूनों का उल्लंघन है.


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भविष्य की भर्तियों पर असर नहीं 
हालांकि, कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्ष 2025-26 में 20,000 नए कर्मचारियों की भर्ती की योजना पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इंफोसिस ने भरोसा दिलाया कि वे हमेशा प्रतिभाशाली और योग्य उम्मीदवारों को रोजगार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इंफोसिस के इस विवाद ने भारतीय आईटी सेक्टर में एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है. क्या यह नीति कंपनियों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आवश्यक है, या फिर यह श्रम कानूनों का उल्लंघन है? श्रम विभाग की जांच से आने वाले समय में यह स्पष्ट होगा कि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला क्या होता है.

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