धर्म
स्वास्तिक बनाए बिना यह सब अधूरा माना जाता है. स्वास्तिक को सुख-शांति और समृद्धि लाने का प्रतीक माना जाता है, लेकिन आपने कुछ जगहों पर उल्टा स्वास्तिक बना देखा होगा.
Ulta Swastik: सनातन धर्म में स्वास्तिक को बड़ा ही महत्व दिया जाता है. किसी भी शुभ कार्य से लेकर पूजा अर्चना में स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है. इसमें चाहे फिर व्रत, पूजा हो या फिर हवन. स्वास्तिक बनाए बिना यह सब अधूरा माना जाता है. स्वास्तिक को सुख-शांति और समृद्धि लाने का प्रतीक माना जाता है, लेकिन आपने कुछ जगहों पर उल्टा स्वास्तिक बना देखा होगा. कुछ लोग उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं. ऐसा क्यों होता है. आइए जानते हैं कि क्यों और कब बनाया जाता है उल्टा स्वास्तिक. इसकी क्या वजह होती है...
क्यों बनाया जाता है उल्टा स्वास्तिक
ज्योतिष के अनुसार, जब कभी व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक कठिनाईयां आ जाती है. व्यक्ति को तमाम परेशानियों से जूझना पड़ता है. ऐसे में उल्टा स्वास्तिक बनाया जाता है. कठिन समय की समाप्ति और मनोकामना की पूर्ति के बाद उसी स्थान पर जाकर सीधा स्वास्तिक बनाया जाता है. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं. यह उनके प्रति आभार प्रकट करने का तरीका है. साथ ही संकेत मिलता है कि व्यक्ति के ऊपर आया संकट टल चुका है.
दूरी होती है नकारात्मक ऊर्जा
ज्योतिष के अनुसार, जिस भी घर में कलह, झगड़े और नकारात्मकता वास होता है. वहां पर उल्टा स्वास्तिक बनाना चाहिए. ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है. साथ ही इच्छा पूर्ति में सामने आ रही बाधाएं भी दूर हो जाती हैं. उल्टा स्वास्तिक कभी भी घर में नहीं बनाया चाहिए. इसे जब किसी तीर्थ स्थल, पवित्र स्थान या मंदिर में जाये तो बना दें. साथ मनोकामना की पूर्ति के बाद उसी जगह पर जाकर सीधा स्वास्तिक बनाएं. इससे सभी समस्याएं कट जाती हैं. भगवान की कृपा प्राप्त होती है.
गलती से भी न भूलें ये काम
जिस भी जगह और मनोकामन की पूर्ति के लिए आप उल्टा स्वास्तिक बनाकर आ रहे हैं. उसे मनोकामना की पूर्ति के बाद ही सीधा बना दें. ध्यान रखें कि साफ सुथरे स्थान पर बनाएं, जब आपकी मनोकामना पूरी हो जाए तो उसी जगह पर फिर से जाकर स्वास्तिक को सीधा बनाकर आना न भूलें. ऐसा न करने से भगवान नाराज हो जाते हैं और संकट आ सकते हैं.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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