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Muhurtas in Day: दिनभर में होते हैं 30 मुहूर्त, इन समय में कर सकते हैं शुभ कार्य

Astrology:अगर आपको लगता है कि किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए शुभ दिन का आपको लंबा इंतजार करना होगा तो बता दें कि हर दिन 30 शुुभ मुहूर्त होते हैं. इस मुहूर्त में आप कोई भी अच्‍छा काम करें तो उसके शुभ फल ही मिलेंगे.

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Muhurtas in Day: दिनभर में होते हैं 30 मुहूर्त, इन समय में कर सकते हैं शुभ कार्य

जानिए दिन में कब-कब होता है शुभ मुहूर्त

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डीएनए हिंदी: किसी भी काम को अगर शुभ समय पर किया जाए तो उसके फल हमेशा ही अच्‍छे मिलते हैं. लेकिन हर कार्य को करने का शुभ मुहूर्त होता है. बिना मुहूर्त अगर शुभ कार्य भी किया जाए तो वह फलित नहीं होता है. लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि हर दिन कम से कम 30 मुहूर्त शुभ होते हैं और उस पल शुभ काम करना फलित होता है. 

हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले पंचांग से शुभ मुहूर्त देखते हैं तो आपको बता दें कि हर दिन कभी न कभी शुभ मुहूर्त आता है.  दिन और रात में कुल 30 मुहूर्त होते हैं. दिन में 15 मुहूर्त और रात में 15 मुहूर्त. नक्षत्रों के आधार पर मुहूर्त के स्वामी निर्धारित किए गए हैं. जिन राशियों के स्वामी शुभ होते हैं उन नक्षत्रों में किया गया कार्य सफल होता है, लेकिन जिन नक्षत्रों के स्वामी क्रूर और अशुभ होते हैं, उनके विपरीत परिणाम प्राप्त होते हैं.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 1 अहोरात्र में कुल 30 मुहूर्त होते हैं यानि दिन और रात.1 अहोरात्रा में कुल 60 घाटियां होती हैं. दिन की 30 घंटी और रात की 30 घंटी. एक घंंटा 24 मिनट की होती है. दिन में 15 मुहूर्त और रात में 15 मुहूर्त होते हैं. इस प्रकार एक मुहूर्त का मान 48 मिनट होता है.

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ये हैं दिन के 15 नक्षत्र के स्‍वामी 

आठवें का नक्षत्र अभिजित स्वामी ब्रह्मा, नवें का नक्षत्र रोहिणी स्वामी ब्रह्मा, दसवें का नक्षत्र ज्येष्ठा स्वामी इंद्र, ग्यारहवें का नक्षत्र विशाखा स्वामी इंद्राग्नि, बारहवें का नक्षत्र मूल स्वामी निर्ऋति, तेरहवें का नक्षत्र शतभिषा स्वामी वरुण, चौदहवें का नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी स्वामी अर्यमा, पंद्रहवें का नक्षत्र पूर्वा फाल्गुनी स्वामी भग. अष्टम का नक्षत्र अभिजीत स्वामी ब्रह्मा है, नवम का नक्षत्र रोहिणी स्वामी ब्रह्मा है, दशम का नक्षत्र ज्येष्ठ स्वामी इंद्र है, ग्यारहवें का नक्षत्र विशाखा स्वामी इंद्राग्नि है, बारहवें का नक्षत्र मूल स्वामी निरति है, तेरहवें का नक्षत्र शतभिषा स्वामी वरुण है, चौदहवें का नक्षत्र उत्तरफाल्गुनी स्वामी आर्यमा है, पंद्रहवां पूर्वाफाल्गुनी स्वामी भाग का नक्षत्र है.

एक नक्षत्र में कितना मिनट 

एक मुहूर्त 48 मिनट का होता है और दिन के 15 मुहूर्त कुल 720 मिनट के होते हैं. इन्हें घंटों में बदलने के लिए, हम 60 से भाग देते हैं, फिर हमें 12 घंटे का समय पैमाना मिलता है. इस प्रकार एक मुहूर्त का मान 48 मिनट होता है. दिन में 48-48 मिनट के 15 और रात में 15 मुहूर्त होते हैं। इन 30 मुहूर्तों के लिए अलग-अलग स्वामी निर्धारित किए गए हैं. दिन में प्रथम मुहूर्त का नक्षत्र आद्रा स्वामी गिरीश, द्वितीय अश्लेषा स्वामी सर्प का नक्षत्र, तृतीय अनुराधा स्वामी मित्र का नक्षत्र, चतुर्थ माघ स्वामी पितृगण का नक्षत्र, पांचवें का नक्षत्र धनिष्ठा स्वामी वसु, छठे पूर्वाषाढ़ स्वामी जल का नक्षत्र, सातवें उत्तराषाढ़ा स्वामी विश्वेदेव का नक्षत्र है.

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रात के 15 नक्षत्र

रात्रि के प्रथम मुहूर्त का नक्षत्र आद्रा स्वामी शिव, दूसरा पूर्वभाद्रपद स्वामी अजपद का, तीसरा उत्तरभाद्रपद स्वामी अहिरबुधन्या का, चौथा नक्षत्रों का रेवती स्वामी पूष, पांचवां नक्षत्र अश्विनी स्वामी अश्विनी कुमार, छठा नक्षत्र भरणी स्वामी यम, सातवें नक्षत्र का कृतिका स्वामी अग्नि, अष्टम का नक्षत्र रोहिणी स्वामी ब्रह्मा है, नवम का नक्षत्र मृगशिरा स्वामी चंद्र है, दशम का नक्षत्र पुनर्वसु स्वामी अदिति है, ग्यारहवें का नक्षत्र पुष्य स्वामी जीव है, बारहवें का नक्षत्र श्रवण स्वामी विष्णु है, तेरहवें का नक्षत्र हस्त स्वामी अर्क, चौदहवें का नक्षत्र चित्र स्वामी त्वाष्ट्र है, पंद्रहवां नक्षत्र का स्वाति स्वामी मरुत है.

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