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India’s First Saint : 18वीं सदी के संत देवश्याम पिल्लई पहले भारतीय हैं जिन्हें Pope Francis ने संत घोषित किया 

तमिलनाडू के कन्या कुमारी ज़िले में पैदा हुए Devashyam Pillai मूलतः एक हिन्दू परिवार में पैदा हुए थे पर बाद में कैथोलिक धर्म अपना लिया था

India’s First Saint : 18वीं सदी के संत देवश्याम पिल्लई पहले भारतीय हैं जिन्हें Pope Francis ने संत घोषित किया 
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डीएनए हिंदी : अठारहवीं सदी में पैदा हुए देवश्याम पिल्लई(Devashyam Pillai) को पोप फ्रांसिस ने संत घोषित किया है. संत पिल्लई यह उपाधि पाने वाले पहले भारतीय हैं. वे कैथोलिक चर्च के पुजारी थे और उन्हें चर्च ने शहीद घोषित किया था. श्री पिल्लई ने जाति प्रथा के खिलाफ आंदोलन किया था. लगभग 50000 लोगों के सामने पोप फ्रांसिस ने देवश्याम पिल्लई को संत घोषित किया है. श्री पिल्लई के साथ कुल 10 नये संत घोषित किए गए हैं

कौन थे देवश्याम पिल्लई - The First Saint 
अठारहवीं सदी में तमिलनाडु के कन्या कुमारी ज़िले के नाट्टालं गांव में पैदा हुए देवश्याम पिल्लई(Devashyam Pillai) मूलतः एक हिन्दू परिवार में पैदा हुए थे पर बाद में कैथोलिक धर्म अपना लिया था. उनकी मौत को शहादत घोषित किया गया था. 
देवश्याम पिल्लई(Devashyam Pillai) का बपतिस्मा बतौर कैथोलिक 1745 में हुआ था. कैथोलिक अपनाने के बाद उन्होंने लज़ारस नाम धारण किया था. कैथोलिक बनने के बाद श्री पिल्लई ने जाति -प्रथा और छुआछूत के विरूद्ध लड़ाई छेड़ दी. उनकी मृत्यु इसी वजह से हुई मानी जाती है. माना जाता है कि जब उन्हें मारने सिपाही आए थे तो बंदूक नहीं चला पाए. संत ने उन सिपाहियों से बन्दूक ली, उन्हें अपना आशीर्वाद दिया. जिसके बाद उन सिपाहियों ने उनकी हत्या कर दी. 

बराबरी की सीख देते थे देवश्याम पिल्लई 

वेटिकन ने श्री पिल्लई(Devashyam Pillai) को संत की उपाधि से नवाज़ते हुए लिखा कि "अपनी बातों को कहते हुए, उपदेश देते हुए वे हमेशा बराबरी की बात किया करते थे. इस वजह से उनसे ऊंची मानी जाने वाली जाति के लोग नफ़रत करने लगे थे. उन्हें 1749 में गिरफ़्तार किया गया था. कठिनाइयों को झेलते हुए उन्होंने 14 जनवरी 1752 को शहादत का ताज पहना जब उन्हें गोली मरकर उनकी जान ले ली गई. 

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