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Karwa Chauth Before Marriage: क्या शादी से पहले लड़कियां रख सकती हैं करवा चौथ का व्रत, यहां जानें सही या गलत

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10 बजकर 54 से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 38 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025 शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. 

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Karwa Chauth Before Marriage: क्या शादी से पहले लड़कियां रख सकती हैं करवा चौथ का व्रत, यहां जानें सही या गलत
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हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत का बड़ा महत्व है. यह व्रत जल्द ही आने वाला है. इसमें सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं. व्रत का संकल्प लेने के बाद महिलाएं पूरे दिन न तो कुछ खाती हैं और न ही पानी पीती हैं. शाम के समय चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं. वहीं सिर्फ सुहागिन ही नहीं, कुछ कुंवारी लड़कियां भी मनचाहे जीवनसाथी को पाने के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं, लेकिन क्या यह सही है. आइए जानते हैं कि इसके पीछे का नियम और धार्मिक महत्व क्या है...

2025 में कब है करवा चौथ

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10 बजकर 54 से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 38 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025 शुक्रवार के दिन रखा जाएगा. इस दिन रात को 8 बजकर 47 मिनट पर चंद्रमा के दर्शन होंगे. 

कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं करवा चौथ का व्रत

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सिर्फ सुहागिन ही नहीं, बल्कि कुंवारी लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं. इसको लेकर कुछ लड़कियां असमंजस में रहती हैं. ऐसे में आपको बता दें कि कुंवारी लड़कियां भी व्रत रख सकती हैं, लेकिन इनके लिए नियम कुछ अलग होते हैं. कहा जाता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है. लड़कियों को अच्छा जीवनसाथी मिलता है. 

कुंवारी लड़कियां ऐसे करें करवा चौथ का व्रत और पूजा

कुंवारी लड़कियों के लिए करवा चौथ का व्रत रखने की विधि कुछ अलग होती है, जिनकी सास नहीं होती. वे एक दिन पहले खुद सरगी खरीद लें. इसके साथ ही व्रत के दिन सूर्योदय से पहले सरगी खाकर व्रत का संकल्प लें. स्नान करने के बाद नए रंग-बिरंगे कपड़े पहनें और अच्छे से श्रृंगार करें. व्रत का संकल्प लेकर भगवान गणेश, शिवजी, कार्तिकेय जी और माता करवा की पूजा करें. शाम को चांद निकलने से पहले कथा सुनें या पढ़ें. इसके बाद आरती कर अपने हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें. 

Disclaimer: यह खबर सामान्य ज्योतिष और मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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