धर्म
Conjunction of Saturn-Mars bad effect: शनि और मंगल की युति को ज्योतिष में बहुत ही अशुभ माना गया है. साल 2025 मंगल का साल होगा और मंगल के स्वामित्व वाली मेष राशि पर शनि की साढ़ेसाती शुरू होगी.आइए जानते हैं कि इस ग्रह पर किस तरह का प्रभाव पड़ेगा और व्यक्ति को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की युति और व्यवस्था के आधार पर व्यक्ति और ग्रह को लाभ मिलता है. इसके अलावा कुछ ग्रहों का संयोग कई मायनों में खतरनाक होने की संभावना है. इस लिहाज से शनि और मंगल की युति खतरे का कारण बनने वाली ग्रह प्रणाली मानी जाती है. तो आइए जानते हैं कि 2032 तक इस दुनिया और इंसानों को किन खतरनाक चीजों का सामना करना पड़ सकता है.
शनि और मंगल ग्रह में क्यों है शत्रुता?
ज्योतिषशास्त्र में संकेत दिया गया है कि शनि और मंगल ग्रह की युति से व्यक्तिगत जीवन और संसार पर भारी प्रभाव पड़ेगा.
शनि और मंगल अशुभ ग्रह हैं. साथ ही ग्रह एक दूसरे के शत्रु होते हैं. हालांकि, दो अशुभ ग्रहों की युति का मतलब हमेशा बुरा परिणाम नहीं होना चाहिए. आइए सबसे पहले जानते हैं कि ये दोनों ग्रह शत्रु ग्रह क्यों हैं.
सामान्यतः शनि बहुत धीमी गति से चलने वाला, शान्त एवं शान्त ग्रह है . लेकिन मंगल बहुत तेज़, बुद्धिमान और शीघ्र चलने वाला है.यदि आप जीवन में तेजी से कार्य करते हैं, तो यह आपको एक मानसिकता प्रदान करेगा जो आपको जीवन में प्रगति कराएगी. लेकिन शनि यह संकेत दे सकता है कि जीवन में धैर्य बहुत जरूरी है.
मंगल शिखर और शनि नीसम क्या दर्शाता है?
मंगल का शनि-शासित मकर राशि में चढ़ना यह दर्शाता है कि कोई व्यक्ति जीवन में तभी सफल हो सकता है जब वह एक विवेकशील और विद्वान व्यक्ति के रूप में कार्य में तेजी लाएगा.
उसी तरह, अनुभव प्राप्त करने के बाद भी, बिना धीमे हुए और जल्दबाजी में कार्य किए, शनि मंगल द्वारा शासित मेष राशि में नीचम चरण में पहुंच जाता है, यह दिखाने के लिए कि यदि आप जल्दबाजी में कार्य करते हैं, तो आपको समस्याओं और नुकसान का सामना करना पड़ेगा.
क्या किसी के जीवन में गति महत्वपूर्ण है या विवेक?
मानव जीवन में विवेक के साथ गति का महत्व है. हमारे लिए संदर्भ को जानना और अपने अनुभव के अनुसार उसका उपयोग करना बेहतर है.
सूर्य वह है जो किसी उपयोगी कार्य को करने का निर्देश देता है, मंगल वह है जो उस कार्य को करने के लिए प्रेरित करता है. शनि ही वह है जो इसे पूरा करने के लिए धैर्य और शांति और इसमें न्याय और धर्म का एहसास करा सकता है.
इसलिए मनुष्य के लिए जरूरी है कि वह लक्ष्य हासिल करने के लिए जीवन में कई अनुभवों का उपयोग करे न कि सिर्फ गति बनाए रखने और काम खत्म करने की कोशिश करे. सफलता या असफलता गौण है.
मंगल+शनि की युति लाभ भी दे सकती है
यदि किसी की जन्म कुंडली में मंगल और शनि एक साथ हों तो व्यक्ति का जीवन संघर्षपूर्ण होता है.
इस व्यक्ति के विवाह में देरी होगी . यदि ऐसा हुआ भी तो यह विभाजन या परेशानी से भरा होगा. परिवार में भाई-बहन और भाई-भाभी से मतभेद हो सकता है.
इन राशिफल वाली महिलाएं अपने पति से हमेशा परेशानियों से भरी रहती हैं. सोचे गए कार्य को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा. दुर्घटना जैसे दुर्भाग्य घटित होते हैं.
2032 तक दुनिया बुरी तरह प्रभावित होगी
भगवान शनि 29 मार्च 2025 को कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर करेंगे. वर्तमान में कुंभ राशि के स्वामी के रूप में गोचर कर रहे शनि ने अपना गोचर पूरा कर लिया है और मीन राशि में प्रवेश करने के लिए सकारात्मक गति शुरू कर दी है. इसके बाद से ही भारी तूफान, बारिश और बाढ़ का दौर जारी है.
इस स्थिति में, जब शनि मीन राशि में गोचर करेगा, तो वह वहां राहु से जुड़ने वाला है, और मंगल शासित मेष राशि में शनि की साढ़ेसाती का विनाश शुरू होने वाला है.
मेष राशि अगले साढ़े सात साल तक शनि की साढ़े साती तक रहेगी. 31 मई 2032 को मेष राशि साढ़े साती पर शनि से मुक्त हो जायेगी. तब तक इस संसार में अनेक समस्याएँ बनी रहेंगी.
दुनिया भर में दिखेंगी कैसी-कैसी समस्याएं
कुंभ, मीन, मेष और वृषभ राशि के लोगों को अगले 7 वर्षों में विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है. साथ ही शनि+मंगल युति वाली कुंडली और संबंधित दशा-बुद्धि वाले जातकों को सावधान रहना चाहिए. जोखिम भरे काम में शामिल न हों. अन्यथा, यह एक ऐसा समय बन जाएगा जब अनावश्यक दुर्घटनाएँ हो सकती हैं. जितना हो सके यात्राओं और झगड़ों से बचना जरूरी है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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