Chhath Puja 2023 Kharna: आज छठ का दूसरा दिन, जानें खरना पर पूजा विधि से लेकर व्रत की सामग्री, नियम और महत्व 

नितिन शर्मा | Updated:Nov 18, 2023, 07:01 AM IST

छठ महापर्व ​की शुरुआत 17 नवंबर 2023 से हुई है, जो 20 नवंबर 2023 तक रहेगा. चार दिनों तक महिलाएं छठ मैया की पूजा अर्चना के साथ ही सूर्यदेव की उपासना करेंगी. 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाएगा. आज छठ महापर्व का दूसरा दिन है.

डीएनए हिंदी: दिवाली के बाद छठ चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत होती है. इस बार छठ महापर्व ​की शुरुआत 17 नवंबर 2023 से हुई है, जो 20 नवंबर 2023 तक रहेगा. चार दिनों तक महिलाएं छठ मैया की पूजा अर्चना के साथ ही सूर्यदेव की उपासना करेंगी. 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाएगा. आज छठ महापर्व का दूसरा दिन है. यह नहाय खाय के बाद आता है, जिसे खरना कहा जाता है. इस दिन, व्रती लगभग 8 से 12 घंटे की अवधि के लिए व्रत रखते हैं. साथ ही गुड़ की खीर, कद्दू-भात और ठेकुआ-गुजिया जैसे व्यंजन बनाते हैं. 

व्रत पूर्ण होने के बाद बांटा जाता है प्रसाद

छठ मैया व्रत की शुरुआत नहाय खाय से होती है. आज दूसरा दिन है, जिसे खरना कहा जाता है. इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है. इसके अलावा ठेकुआ, गुजिया समेत छठ मैया के भोग प्रसाद तैयार किए जाते है. इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं. आप भी छठ मैया के व्रती है. छठ मैया के व्रत पर आज खरना पूजा मनाने जा रहे हैं, तो जानें पूजा विधि से लेकर सामग्री और नियम...

यह है खरना पूजा की सामग्री

छठ मैया की पूजा और व्रत पर प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. खरना के लिए भी पूजा सामग्री में प्रसाद रखने के लिए दो बड़ी बांस की टोकरियां लें. इसके अलावा बांस या ​पीतल का सूप ले सकते हैं. जल अर्पण करने के लिए एक लोटा, एक साफ थाली, पान, चावल, सुपारी, सिंदूर और घी दीपक लें. इसके अलावा माता का भोग प्रसार सुथनी, गेहूं चावल का आटा, ठेकुआ, गुड़ और शकरकंदी भी जरूर शामिल करें. 

इन 5 चीजों को लेकर घाट पर जरूर जाएं

खरना के दिन छठ मैया के व्रती नए कपड़े पहनें. इसके अलावा 5 पत्तियां लगे हुए गन्ने, अदरक, हल्दी का पौधा, मूली, बड़ा नींबू, नाशपा​ती, केला, शरीफा, पानी का नारियल और मिठाईयां भी जरूर रखें. 

खरना से शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत

छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना पर छठ मैया के व्रतधारियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. आज महिलाएं शाम को पूजा करने के बाद 36 घंटे के लिए निर्जला उपवास रखेंगी और घाट पर जाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देंगी. शाम के समय घी लगी रोटी, गूड़ की खीर, और फल से सूर्य भगवान का भोग लगाया जाएगा. भोग के बाद ही महिलाएं प्रसाद के रूप में इन्हें ग्रहण करती हैं. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है. यह व्रत 36 घंटे बाद छठ के चौथे दिन उगते सूर्य को जल देने के बाद ही पूर्ण होता है. 

छठ व्रत पर इन नियमों का रखें ध्यान

छठ के व्रत में कुछ नियमों की अनदेखी भूलकर भी न करें. छठ मैया के प्रसाद और सामान को किसी भी छोटे बच्चे को छूने न दें. पूजा पूर्ण होने के बाद ही बच्चे या बड़ों को प्रसाद वितरण करें. पूजा व्रत के दौरान परिवार में किसी से भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल न करें. व्रती छठ के चार दिवसीय त्योहार तक भूलकर भी चारपाई या फिर बिस्तर पर न बैठें. बैठना और लेटना चाहते हैं तो जमीन पर कपड़ा बिछाकर बैठ सकते हैं. छठ पूजा के दौरान व्रत न होने पर भी परिवार इस दौरान सात्विक भोजन ही ग्रहण करें.

Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

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