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Chaturmas 2024: देवशयनी एकादशी से शुरू होगा चातुर्मास, 3 महीने बाद 17 नवंबर से फिर बजेंगी शहनाईं, जानें शुभ मुहूर्त

देवशयनी एकादशी के बाद अगले ​3 महीनों तक शादी विवाह समेत सभी मांगलिक कार्यों पर ब्रेक लग जाएगा. इसके बाद 17 नवंबर से फिर विवाह के शुभ मुहूर्त निकलेंगे. 

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Chaturmas 2024: देवशयनी एकादशी से शुरू होगा चातुर्मास, 3 महीने बाद 17 नवंबर से फिर बजेंगी शहनाईं, जानें शुभ मुहूर्त
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Shaadi-Vivah Shubh Muhurat 2024: जुलाई माह के आगे बढ़ने के साथ ही अगले कुछ ही दिनों में शादी विवाह कार्यक्रम पर ब्रेक लग जाएगा. इसकी वजह 17 जुलाई से चातुर्मास का शुरू होना है. इसके शुरू होते ही शादी विवाह, मुंडन जैसे कार्यक्रम अशुभ माने जाते हैं. यही वजह है कि अगले तीन महीनों तक शादी विवाह नहीं होंगे. इसके बाद 17 नवंबर 2024 से फिर शहनाई बजेंगी. इसके साथ ही कई शुभ मुहूर्त बनेंगे. हालांकि चातुर्मास 11 नवंबर तक रहेगा. इसके 6 दिन बाद विवाह के शुभ योग बन रहे हैं. 

देवशयनी एकादशी से होती है चातुर्मास की शुरुआत

ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार के अनुसार, चातुर्मास की शुरुआत देवशयनी एकादशी से होती है. देवशयनी एकासदशी लेकर चातुर्मास 11 नवंबर तक रहेगा. ऐसे में कोई भी शुभ मांगलिक कार्य नहीं होंगे. इनमें विवाह संस्कार से लेकर ग्रह प्रवेश समेत दूसरे कार्यक्रम शामिल हैं, जिन्हें इस दौरान करने पर अशुभ फल प्राप्त होते हैं. कार्यों अड़चन आती हैं.व्यक्ति को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. 

ये हैं शुभ विवाह मुहूर्त

देवशयनी एकादशी से पूर्व जुलाई में शुभ विवाह 9, 11 12, 13, 14, 15 और आखिरी 17 जुलाई तक होंगे. इसके बाद शादी विवाह समारोह पर अगले तीन महीनों के लिए पूर्ण रूप से ब्रेक लग जाएगा.  

नवंबर और दिसंबर में 15 दिन बजेगी शहनाईं

वहीं 11 नवंबर 2024 को चातुर्मास खत्म हो जाएगा. इसके 6 दिन बाद 17 नवंबर से मांगलिक कार्य और विवाह के कई शुभ मुहूर्त हैं. इनमें 17 नवंबर से लेकर 18, 23, 25, 27 और 28 नवंबर को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं. वहीं दिसंबर माह में 2, 3, 4, 6, 7, 10, 11 और 14 दिसंबर 2024 को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं. दोनों ही ​महीनों में 15 दिनों तक शहनाईं बजेंगी. 

चातुर्मास में बन रहे ये दुर्लभ योग

देवशयनी एकादशी के बाद चातुर्मास में कई ऐसे शुभ और दुर्लभ योग भी बन रहे हैं, जिनमें माता की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण हो जाएगी. इनमें सबसे पहले गृप्त नवरात्रि हैं. इनमें सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. इसके साथ ही गुप्त नवरात्रि में बतासा, चना, हलवा और फल का भोग लगाने पर माता रानी की कृपा प्राप्त होगी. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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