धर्म
ऋतु सिंह | Oct 06, 2025, 06:33 AM IST
1.कब दिखेगा शरद पूर्णिमा का चांद

हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे से शुरू होकर 7 अक्टूबर को सुबह 9:16 बजे तक रहेगी. इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 5:27 बजे है. हालांकि, भौगोलिक स्थिति के अनुसार अलग-अलग शहरों में चांद निकलने का समय कुछ मिनटों का अंतर रख सकता है.
2.आज रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करेंगी

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा का पर्व अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है और इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो व्यक्ति इस रात जागकर उनकी पूजा करता है, उसे देवी लक्ष्मी धन, वैभव और समृद्धि का वरदान देती हैं. इस रात्रि को कोजागरी व्रत भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है कौन जाग रहा है? अर्थात, देवी लक्ष्मी उन लोगों पर कृपा करती हैं जो इस रात जागकर उनकी पूजा करते हैं.
3.खीर रखने और चंद्र किरणों का महत्व

शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा है. कहा जाता है कि इस रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होकर धरती पर अमृत बरसाता है. इस अमृतमयी रोशनी में रखी खीर सेवन करने से शरीर को शुद्धता, मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है.
4.शरद पूर्णिमा पर रात में खीर कब रखें

आज 6 अक्टूबर 2025 को शरद पूर्णिमा पर रात में खीर रखने का बेस्ट समय रात 10:53 बजे से होगा. इस दौरान चंद्रमा की रोशनी से अमृत गिरेगा, क्योंकि इस समय भद्रा समाप्त हो जाएगी. आप खीर को सुबह सूर्योदय से पहले 3:30 से 4:00 बजे के बीच उठा लें और फिर पूजा के बाद इसे प्रसाद के तौर पर ग्रहण करें
5.चंद्र दर्शन से मानसिक शांति

ज्योतिष में चंद्रमा मन का प्रतीक है. इस दिन अर्घ्य देने से मानसिक तनाव दूर होता है.
6.चंद्र दर्शन से स्वास्थ्य लाभ

चंद्र किरणें अमृतमयी मानी जाती हैं, जो शरीर को ऊर्जा और संतुलन देती हैं.
7.चंद्र दर्शन से कुंडली में चंद्र बल

चंद्र पूजन से जन्मकुंडली में चंद्र दोष का निवारण होता है.
8.सौभाग्य और समृद्धि

मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और वैवाहिक जीवन में सुख-सौहार्द बढ़ता है.
9.शरद पूर्णिमा चांद पूजा विधि

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा को अर्घ्य देना बेहद शुभ माना जाता है. इसके लिए एक कलश या लोटे में स्वच्छ जल भरें और उसमें थोड़ा कच्चा दूध, चावल, मिश्री, चंदन और सफेद फूल डालें. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की ओर मुख करके जल अर्पित करें. धीरे-धीरे धार बनाते हुए चंद्र देव को अर्घ्य चढ़ाएं.
Disclaimer: यह खबर सामान्य ग्रह-गणनाओं और सामान्य ज्योतिष पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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