धर्म
1.इच्छाशक्ति

किसी भी मनुष्य की इच्छाशक्ति अगर उसके साथ हो तो वह कोई भी काम बड़े आसानी से कर सकता है. महर्षि वाल्मीकि कहते हैं कि इच्छाशक्ति और दृढ़संकल्प मनुष्य को रंक से राजा बना देती है.
2.दूसरों से जलन

महर्षि वाल्मीकि कहते हैं कि किसी के प्रति दूषित भावना रखने से अपने मन खुद मैले हो जाते है. इसलिए किसी के प्रति जलन या दूषित भावना नहीं रखनी चाहिए.
3.अवज्ञा

महर्षि वाल्मीकि के अनुसार अतिसंघर्ष से चंदन में भी आग प्रकट हो जाती है, उसी प्रकार बहुत अवज्ञा किए जाने पर ज्ञानी के भी हृदय में भी क्रोध उपज जाता है.
4.नीच व्यक्ति की नम्रता

महर्षि वाल्मीकि नीच व्यक्ति की नम्रता भी अत्यंत दुखदायी होती हैं, जैसे- धनुष्य, अंकुश, बिल्ली और सांप हमेशा झुककर ही वार करते है.
5.माता-पिता की सेवा

महर्षि वाल्मीकि के अनुसार माता-पिता की सेवा और उनकी आज्ञा का पालन जैसा दूसरा धर्म कोई भी नहीं है. इसलिए हर किसी को अपने माता-पिता की सेवा करनी चाहिए.
6.मन की संतुष्टि

महर्षि वाल्मीकि कहते हैं कि मन कभी भी इच्छित वस्तु प्राप्त होने के बाद भी संतुष्ट नहीं होता, जैसी किसी फूटे हुए बर्तन में चाहे कितना भी पानी भर दिया जाए लेकिन वह कभी नहीं भरता.