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Bhagwant Mann Marriage : 7 नहीं केवल इतने फेरे लेंगे पंजाब के मुख्यमंत्री, लीजिए शादी के रीत-रिवाज़ की पूरी डिटेल 

Bhagwant Mann Marriage : भगवंत मान दूसरी शादी करने वाले हैं. यह शादी सिख रीति-रिवाज़ से पूरी होगी. सिख शादियों को आनंद-कारज कहा  जाता है. आइए जानते हैं विस्तार भगवंत मान की शादी में क्या-क्या हो सकता है? 

Bhagwant Mann Marriage : 7 नहीं केवल इतने फेरे लेंगे पंजाब के मुख्यम��ंत्री, लीजिए शादी के रीत-रिवाज़ की पूरी डिटेल 
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डीएनए हिंदी : पंजाब से एक बड़ी खबर आई है. प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान दूसरी शादी (Bhagwant Mann Marriage) करने वाले हैं. यह शादी 7 जुलाई को चंडीगढ़ में होगी. राजपुरा की डॉक्टर गुरप्रीत कौर उनकी दूसरी दुल्हन बनने वाली हैं. यह शादी चंडीगढ़ में सेक्टर 8 गुरुद्वारा में सम्पन्न होगी. यह शादी सिख रीति-रिवाज़ से पूरी होगी. सिख शादियों को आनंद-कारज कहा  जाता है. आनंद कारज में गुरुग्रंथ साहिब के चारों और चार फेरे लिए जाते हैं. आइए जानते हैं विस्तार भगवंत मान की शादी में क्या-क्या हो सकता है? 

ऐसे होती है आनंद-कारज की शुरुआत 
सिख शादियां यानी आनंद कारक कुरमाई या रोका से शुरू होती है. इसकी शुरुआत में आनंद पाठ किया जाता है. आनंद पाठ गुरु ग्रन्थ साहिब का पूरा पाठ करना है. इसके बाद ही शादी की तारीख़ तय होती है. इस रस्म में  दूल्हा और दुल्हन के परिवार वाले एक दूसरे को तोहफा देते हैं. वर-वधु के बीच अंगूठी भी इसी दिन बदली जाती है. चूंकि भगवंत मान की शादी (Bhagwant Mann Marriage) की तारीख़ तय हो गई है, इसका अर्थ है कि कुरमाई और आनंंद कारज की तारीखें बीत चुकी हैं. 

चुन्नी चढ़ाई, मेहंदी और चूड़ा 
कुरमाई या रोके के बाद दूल्हे के परिवार वाले दुल्हन के घर जाते हैं और दुल्हन के सर पर चुन्नी रखा जाता है. इसके बाद आनंद कारज (Anand Karaj) के अन्य महत्वपूर्ण उत्सव मेहंदी और चूड़ा हैं. अमूमन मेहंदी और चूड़ा सेरेमनी शादी की तारीख़ के एक दिन पहले होती है. चूड़ा लाल और सफ़ेद चूड़ियों का एक सेट होता है जिसे दूध में डुबाकर रखा जाता है. इस चूड़े के साथ कलीरें भी बांधी जाती हैं. कलीरें सुनहरे रंग के खास जेवर को कहते हैं. 

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यह होगी Bhagwant Mann Marriage की सबसे महत्वपूर्ण रस्म 
बारात हिंदू और सिख शादियों की सबसे ज़रूरी रस्म बारात होती है. यह रस्म न हो तो शादी पूरी न मानी जाए. शादी में दूल्हे के परिवार के कुछ लोग शादी की जगह पर पहुंचते हैं. दूल्हा पूरी तरह सजा होता है. बारात के बाद ही आनंद कारज की बाक़ी रस्में शुरू होती हैं. सिख शादियों को आनंद कारज कहा जाता है. इस शब्द का अर्थ दो लोगों का सुखमय मिलन होता है. कीर्तन, लावण फेरा और कड़ा प्रसाद आनंद कारज की ज़रूरी रस्में हैं. 7 जुलाई को भगवंत मान गुरप्रीत (Bhagwant Mann Marriage) के साथ इन सभी रस्मों को निभाएंगे. 

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